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बच्चों की फौज और छोटा सा आइडिया, फिर बॉक्स ऑफिस पर उड़ा दिया गर्दा, 4 करोड़ी फिल्म की कमाई से दिग्गज भी थे हैरान

डायरेक्टर अमुल गुप्ते की फिल्म ‘स्टेनली का डब्बा’ 2011 में रिलीज हुई थी. इस साल की सबसे बेहतरीन फिल्मों में इस फिल्म को गिना गया था. महज 4 करोड़ रुपयों के बजट से बनी इस फिल्म ने कमाई के मामले में अच्छे रिकॉर्ड बनाए थे.

मुंबई.

साल 2011 में 13 मई को डायरेक्टर अमूल गुप्ते की फिल्म ‘स्टेनली का डब्बा’ रिलीज हुई. पोस्टर पर बच्चों की फौज देख किसी ने भी इसकी कहानी का अंदाजा नहीं लगा पाया था. लेकिन जब लोग फिल्म देखने पहुंचे तो आंखें नम हो गईं. भूख से बिलखते बच्चों और रोजाना पेट के जद्दोजहद की ये कहानी लोगों के दिलों को खूब भाई.

महज 4 करोड़ रुपयों से बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस की हवा बदल दी. इतना ही नहीं इस फिल्म ने कई अवॉर्ड्स भी अपनी झोली में डाले. यूरोप के सबसे बड़े चिल्ड्रिन्स फिल्म फेस्टिवल ‘गिफोनी’ में डायरेक्टर अमूल गुप्ते की फिल्म ‘स्टेनली का डब्बा’ को सम्मानित किया गया. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी 7 करोड़ 63 लाख रुपयों की कमाई कर डाली. फिल्म में अमुल गुप्ते के बेटे ने ही लीड रोल निभाया था.

टीवी पर भी टीआरपी की रही किंग
बॉक्स ऑफिस पर धआं उठाने के बाद इस फिल्म को जब टीवी पर रिलीज किया गया तो खूब पसंद की गई. इस फिल्म को सबसे ज्यादा टीआरपी वाली फिल्मों में भी शामिल किया गया है. फिल्म डायरेक्टर अमूल गुप्ते ने मनी कंट्रोल को दिए इंटरव्यू में बताया था, ‘हर डब्बे में खाना और हर खाने की एक कहानी होती है. हमने फिल्म में खाने और बच्चों के जिंदगी के बारे में दिखाने की कोशिश की है. ये फिल्म हमने मिलकर बनाई है. मेरे बेटे के साथ मैंने खुद भी फिल्म में एक्टिंग की है. साथ ही मेरी वाइफ और मैं फिल्म के प्रोड्यूसर भी हैं. हमने दिल से बच्चों की जिंदगी के बारे में लोगों को बताने की कोशिश की है. हमें उम्मीद है लोगों को ये कहानी पसंद आएगी.’ जब ये फिल्म रिलीज हुई तो वास्तव में सभी को पसंद आई.

बच्चों की फौज ने लूट लिया था दिल
फिल्म को अमुल गुप्ते ने डायरेक्ट किया था. साथ ही उन्होंने इस फिल्म में टीचर का रोल भी निभाया था. ये दुष्ट टीचर बच्चों का डब्बा छीन लिया करता था. इस फिल्म में बच्चों की एक फौज नजर आई थी. बच्चों की इस फौज ने लोगों का मन मोह लिया था. दमदार कहानी, बच्चों की धाकड़ एक्टिंग और कसे डायरेक्शन ने इस फिल्म की सफलता की पटकथा लिखी थी. इस फिल्म को ओटीटी पर आज भी खूब पसंद किया जाता है.

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