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“मुझे लगता है कि 96 फीसदी मामलों में हर कोई समय का पालन कर रहा है, लेकिन भारत सरकार समय का पालन क्यों नहीं कर रही?:सुप्रीम कोर्ट

 केंद्र सरकार समय का पालन क्यों नहीं कर सकती? जवाब में देरी पर अदालत ने कहा- आत्मनिरीक्षण करें….

एनएचएआई ने एक मामले में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के एक आदेश को चुनौती दी थी। एनसीएलएटी ने देरी के कारण एनएचएआई की याचिका खारिज कर दी थी।

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआईए) समेत अन्य सरकारी अधिकारियों से अपील दायर करने में अत्यधिक देरी के कारणों पर खुद निरीक्षण करने कहा। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना एनएचआईए की एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने एनएचएआई द्वारा उचित कानूनी कार्रवाई करने में देरी को गंभीरता से लेते हुए सरकारी प्राधिकरण को अपने प्रशासनिक कामकाज पर आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा, “मुझे लगता है कि 96 फीसदी मामलों में हर कोई समय का पालन कर रहा है, लेकिन भारत सरकार समय का पालन क्यों नहीं कर रही? कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है। अधिकारियों को आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है।”

एनएचएआई ने एक मामले में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के एक आदेश को चुनौती दी थी। एनसीएलएटी ने देरी के कारण एनएचएआई की याचिका खारिज कर दी थी। सीजेआई ने 295 दिनों की देरी पर असहमति व्यक्त करते हुए समयसीमा का पालन करने के महत्व पर जोर दिया।

एनएचएआई की तरफ से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता उक्त सुझाव से सहमति जताते हुए कहा, “मैं चेयरमैन से बात करने का वचन देना देता हूं। उन्हें जांच करने दें।” बता दें कि यह मामला दिवाला व दिवालियापन संहिता की कार्यवाही से जुड़ी है। इसमें परिचालन ऋणदाता एनएचएआई ने उसकी सहमति के बिना स्वीकृत समाधान योजना को चुनौती दी थी।

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