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महाराष्‍ट्र सियासी संकट:’दलबदल’ में शामिल विधायकों पर कार्रवाई की मांग का मामला SC पहुंचा

महाराष्ट्र के विधायकों की मौजूदा स्थिति पर सवाल उठाते हुए ये अर्जी दाखिल की गई है, इसमें कहा गया है कि राजनीतिक दल, देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने को फिर से नष्ट करने की कोशिश में जुटे हैं.

नई दिल्‍ली : 

Maharashtra crisis: महाराष्ट्र में सियासी संकट का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अर्जी में दलबदल में शामिल सभी विधायकों पर कार्रवाई की मांग की गई है. मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष जया ठाकुर ने यह अर्जी दाखिल की है, इसमें दलबदल करने वाले विधायकों को 5 साल के लिए चुनाव लड़ने से रोकने के निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि अयोग्य/इस्तीफा देने वाले विधायकों को 5 साल तक चुनाव लड़ने से रोका जाए.  ऐसे विधायकों पर  उनके इस्तीफे/विधानसभा से अयोग्य ठहराए जाने की तारीख से पांच साल तक चुनाव लड़ने रोक लगे

महाराष्ट्र के विधायकों की मौजूदा स्थिति पर सवाल उठाते हुए ये अर्जी दाखिल की गई है, इसमें कहा गया है कि राजनीतिक दल  हमारे देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने को फिर से नष्ट करने की कोशिश में जुटे हैं. विधायकों का दलबदल असंवैधानिक है. ये अर्जी 2021 में उनके द्वारा पहले से ही लंबित याचिका में दायर की गई है जिसमें SC ने जनवरी 2021 में केंद्र से जवाब मांगा था. अर्जी में कहा गयाहै कि राजनीतिक दल खरीद-फरोख्त और भ्रष्ट आचरण में लिप्त हैं. नागरिकों को स्थिर सरकार से वंचित किया जा रहा है.ये अलोकतांत्रिक प्रथाएं हमारे लोकतंत्र और संविधान का मजाक बना रही हैं. इस तरह की अलोकतांत्रिक प्रथाओं पर अंकुश लगाने की जरूरत है. लगातार दलबदल से सरकारी खजाने को भारी नुकसान होता है क्योंकि इसके चलते उपचुनाव कराने पड़ते हैं. मतदाताओं को एक समान विचारधारा वाले प्रतिनिधि चुनने के उनके अधिकार से वंचित किया जाता है. इसमें मध्य प्रदेश का उदाहरण भी दिया गया है जहां दलबदल करने वाले विधायकों को मंत्री बनाया गया. याचिका में कहा गया है कि ऐसे विधायकों को उनके इस्तीफे/विधानसभा से अयोग्य ठहराए जाने की तारीख से पांच साल तक चुनाव लड़ने से रोकें.

जया ठाकुर की अर्जी में कहा गया है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद केंद्र ने दलबदल के मामलों को संभालने के लिए अभी तक कदम नहीं उठाए हैं.राजनीतिक दल स्थिति का फायदा उठा रहे हैं और हमारे देश के विभिन्न राज्यों में निर्वाचित सरकार को लगातार नष्ट कर रहे हैं. लोकतंत्र में दलगत राजनीति के महत्व और सुशासन की सुविधा के लिए सरकार के भीतर स्थिरता की आवश्यकता है. लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक विचारों के बीच संतुलन बनाए रखने में स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण है. कर्नाटक में 2019 में दोषपूर्ण विधायकों के फिर से चुनाव का हवाला भी दिया गया है और कहा गया है कि साल 960 और 1970 में राजनीतिक क्षेत्र में  “आया राम और गया राम”मशहूर हुआ था , जिसका श्रेय हरियाणा के विधायक गया लाल को दिया जाता है, जिन्होंने 1967 में कम समय में तीन बार पार्टियों के प्रति अपनी वफादारी बदली.दरअसल जनवरी 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संसद को उच्च न्यायपालिका के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र ट्रिब्यूनल का गठन करना चाहिए ताकि दलबदल के मामलों को तेजी से और निष्पक्ष रूप से तय किया जा सके.

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