ट्रेन में अकेली महिला को बिना टिकट यात्रा के साथ-साथ और क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं? क्या कहते हैं नियम

इंडियन रेलवे (Indian Railway) ने बीते कुछ वर्षों में अपने नियमों में कई तरह के बदलाव किए हैं. जैसे, अगर आपके पास ट्रेन में रिजर्वेशन (Reservation) नहीं है या बिना टिकट यात्रा (Without Ticket) कर रहे हैं तो भी इंडियन रेलवे के कानून (Law of Indian Railways) के मुताबिक आप कुछ शर्तों के साथ यात्रा जारी (Train Journey) रख सकते हैं. ट्रेन में अगर कोई अकेली महिला बिना टिकट यात्रा (Alone Woman Without Journey) कर रही है तो टीटीई (TTE) उसे ट्रेन से बाहर नहीं निकाल सकता.
नई दिल्ली.
रेलवे ने बीते कुछ वर्षों में अपने नियमों में कई तरह के बदलाव किए हैं. जैसे, अगर आपके पास ट्रेन में रिजर्वेशन (Reservation) नहीं है या बिना टिकट यात्रा (Without Ticket) कर रहे हैं तो भी इंडियन रेलवे (Law of Indian Railways) के कानून के मुताबिक आप कुछ शर्तों के साथ यात्रा जारी (Train Journey) रख सकते हैं. इसके तहत यात्रा करने के लिए आपके पास संबंधित स्टेशन का प्लेटफॅार्म टिकट होना जरूरी है. यदि आपके पास प्लेटफॅार्म टिकट है तो आपकी यात्रा कानूनी रूप से भी वैध मानी जाएगी. इसके लिए आप अतिरिक्त जुर्माना भर कर यात्रा जारी रख सकते हैं. इसी तरह अगर ट्रेन में अगर कोई अकेली महिला बिना टिकट यात्रा (Alone Woman Without Journey) कर रही है तो टीटीई उसे ट्रेन से बाहर नहीं निकाल सकता. इसके साथ ही ट्रेन में अगर महिला अकेली सफर कर रही हैं तो अपनी सीट बदलवा सकती हैं.
अकेली महिला को क्यों नहीं टीटीई उतार सकता है?
इसलिए आपको ट्रेन में यात्रा करने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी रखनी चाहिए. आपको रेलवे के नियमों के बारे में जानकारी होने पर कोई भी रेलवे स्टॉफ आपके साथ गलत व्यवहार नहीं कर सकता. भारतीय रेल का एक नियम यह भी है कि अगर कोई महिला ट्रेन में अकेले सफर कर रही है और उसके पास टिकट नहीं है तो टीटीई ट्रेन से उसे नीचे नहीं उतार सकता. अगर महिला के पास पैसे हैं तो वह जुर्माना भर आगे का सफऱ जारी रख सकती है. अगर महिला के पास पैसे नहीं हैं तो भी उसे टीटीई बॉगी से बाहर नहीं कर सकता है.

रेलवे के इस कानून के बारे में यात्री को तो छोड़ दीजिए रेलवे के स्टाफ को भी पता नहीं होता है.
क्या कहता है रेलवे का कानून
रेलवे के इस कानून के बारे में यात्री को तो छोड़ दीजिए रेलवे के स्टाफ को भी पता नहीं होता है. रेलवे ने साल 1989 में एक कानून बनाया है, जिसके मुताबिक अकेले सफर कर रही महिला यात्री को किसी भी स्टेशन पर उतार देने से अनहोनी की आशंका हो सकती है. अकेली महिला यात्रियों की सुरक्षा के हिसाब उस समय रेलवे ने अपने नियमों में बदलाव किया था.
क्या करते हैं टीटीई
रेलवे के एक टीटीई इस बारे में कहते हैं, जब इस तरह का कोई मामला हमलोगों के पास आता है तो हमलोग जोनल कंट्रोल रूम में इसकी जानकारी देते हैं. महिला की तब की स्थिति के बारे में कंट्रोल रूम को बताया जाता है कि किस परिस्थिति में महिला सफर कर रही है. अगर हमलोगों को मामला संदिग्ध लगता है तो इस बात की जानकारी जीआरपी को देते हैं और जीआऱपी महिला कांस्टेबल को इसकी जिम्मेदारी देती है.

अभी तक रेलवे में बिना टिकट यात्रा करने पर भारी जुर्माना व जुर्माना न देने पर जेल की सजा का प्रावधान था. (फाइल फोटो)
महिलाओं को और क्या-क्या सुविधाएं हैं?
गौरतलब है कि अकेली महिला अगर स्लीपर क्लास के टिकट पर एसी क्लास में सफर रही है तो भी महिला को स्लीपर क्लास में जाने के लिए बोला जा सकता है. उसके साथ किसी भी तरह का गलत व्यवहार नहीं किया जा सकता है. रेलवे बोर्ड के मुताबिक आरक्षित कोच में प्रतीक्षा सूची में नाम होने पर भी अकेली महिला को ट्रेन से नहीं निकाला जा सकता है.
कुलमिलाकर अकेली महिला यात्री से ट्रेन में जोर जबरदस्ती नहीं की जा सकती. इसी तरह आपको बता दें कि रेलवे के नियम के तहत अगर किसी का रिजर्वेशन टिकट है और दो स्टेशन तक वह अपनी सीट पर नहीं आता है तो टीटीई उसकी सीट किसी दूसरे यात्री को एलॉट नहीं कर सकता है. अभी तक रेलवे में बिना टिकट यात्रा करने पर भारी जुर्माना व जुर्माना न देने पर जेल की सजा का प्रावधान था. जिसे अब आइआरसीटीसी ने बदलाव करके नए नियम लागू कर दिए हैं.