कर्नाटक : ठेकेदार की मौत से उठे सवाल, क्या राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं? जमकर होती है कमीशनखोरी, जानें

एक वक्त था, जब सरकारी ठेका हासिल करने के लिए ठेकेदारों के बीच खून की होली तक खेली जाती थी. वक्त बदला तो ठेकेदारों की परिस्थितियों में भी बदलाव आया. सरकारी ठेकेदारी में राजनीति हस्तक्षेप बढ़ गया. हाल ही में कर्नाटक में एक ठेकेदार की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. राज्य में सत्ताधारी दल पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
कर्नाटक के सरकारी ठेकेदारों ने 1 मई से काम बंद करने का ऐलान किया है
कुछ महीने पहले कर्नाटक की राजनीति में उस समय उबाल आ गया, जब कर्नाटक ठेकेदार संघ ने राज्य की भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार पर आरोप लगाया कि वह कॉन्ट्रैक्ट देने के नाम पर 40% तक की कमीशन की मांग करती है. एक लाख से अधिक सदस्यों वाले सभी सरकारी ठेकेदारों के इस संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कमीशन की मांग के बारे में जानकारी दी थी. साथ ही कर्नाटक सरकार के कुछ मंत्रियों और सरकारी अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की थी.
ऐसा माना जाता है कि ठेकेदार हमेशा सरकार की मेहरबानी पर फलते-फूलते हैं. एसोसिएशन के अध्यक्ष केम्पन्ना ने कर्नाटक सरकार की कथित कमीशनखोरी का पर्दाफाश करने के लिए कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. इस मुद्दे ने कर्नाटक विधानसभा को भी हिलाकर रख दिया. विपक्ष ने भाजपा सरकार को ‘40% कमीशन वाली सरकार’ करार दिया. तमाम आरोपों के बाद भी भाजपा ने कोई कार्रवाई नहीं की और कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार का नामो-निशान नहीं है.
पाटिल ने पीएम को लिखा था पत्र
12 अप्रैल को युवा ठेकेदार संतोष पाटिल की दुर्भाग्यपूर्ण मौत ने एक बार फिर कमीशनखोरी के इस मामले को हवा मिल गई है. संतोष ने अपनी मौत के लिए ग्रामीण विकास और पंचायती राज्य मंत्री के.एस.ईश्वरप्पा को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं ईश्वरप्पा ने कहना है कि उनकी कोई गलती नहीं है. खबरों के मुताबिक, आत्महत्या जैसे कदम उठाने से पहले पाटिल ने ईश्वरप्पा की शिकायत तकरीबन बीजेपी के हर बड़े नेता से की थी. मृतक ठेकेदार ने प्रधानमंत्री को भी एक पत्र भेजा था.
ठेकेदारों में है गुस्सा
संतोष पाटिल के खुदकुशी करने से राज्य के ठेकेदारों में भारी रोष है. सभी ने राज्य सरकार से इस मामले में लोहा लेने का फैसला किया है. ठेकेदारों का आरोप है कि कर्नाटक के सभी सरकारी दफ्तरों में जमकर घुसखोरी होती है. कर्नाटक ठेकेदार संघ ने 25 मई से एक महीने के लिए सभी सरकारी काम बंद करने का फैसला किया है.
कमीशनखोरी का खेल
संघ के अध्यक्ष का कहना है, ‘प्रदेश में ठेका कार्य करना संभव नहीं है. हम 40% तक कमीशन का भुगतान कैसे कर सकते हैं और ऐसे में हम कैसे जीवित रह सकते हैं? पार्षद, विधायक, मंत्री और नौकरशाह सभी अपना हिस्सा चाहते हैं.’ वहीं, बेंगलुरु के एक सरकारी ठेकेदार के अनुसार, राज्य में बिना रिश्वत के किसी भी काम की बोली लगाना, जीतना और उसे अंजाम देना संभव नहीं है. अधिकांश ठेकेदार इस बात से सहमत हैं कि राज्य में राजनीतिक दलों में भ्रष्टाचार व्याप्त है. इनका आरोप है कि लगभग सभी विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र में हर काम के लिए ठेकेदारों और अधिकारियों से 10-15% कटौती की मांग करते हैं.
जड़े हैं गहरी
ठेकेदारों का कहना है कि राज्य में कोई भी पार्टी का नेता संत नहीं है, लेकिन 40 प्रतिशत का कमीशन मांगना हैरान करता है. वैसे कर्नाटक में किसी को भी यह उम्मीद या विश्वास नहीं है कि पाटिल की मृत्यु के बाद भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा. वयोवृद्ध राजनेता और पूर्व मंत्री कागोडु थिमप्पाकहते हैं, ‘यहां भ्रष्टाचार बरगद के पेड़ की जड़ जैसा है. कोई भी भ्रष्टाचार खत्म नहीं कर सकता क्योंकि इससे सभी को फायदा होता है.’