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पति या पत्नी पर निराधार अवैध संबंधों के आरोप क्रूरता, कैरेक्टर पर ऐसे सवाल मेंटल हेल्थ बिगाड़ देते हैं: दिल्ली हाईकोर्ट

अदालत ने कहा कि ऐसे आरोपों से जो मानसिक पीड़ा, यंत्रणा एवं दुख होता है वह क्रूरता के समान है। कोर्ट ने महिला की अपील खारिज कर दी।
नई दिल्ली
मामले में फैमिली कोर्ट ने पति के पक्ष में तलाक की मंजूरी देते हुए महिला के आरोपों को क्रूरता बताया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि जीवन साथी के चरित्र पर झूठा आरोप लगाना उसकी प्रतिष्ठा एवं सेहत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया जाना जैसा है। विवाह पवित्र संबंध होते हैं तथा उसकी मर्यादा हर स्थिति में कायम रखी जानी चाहिए। स्वस्थ और शिक्षित समाज के लिए यह बेहद आवश्यक है। अदालत ने कहा कि ऐसे आरोपों से जो मानसिक पीड़ा, यंत्रणा एवं दुख होता है वह क्रूरता के समान है। अदालतों को इसकी निंदा करनी चाहिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने एक फैमिली कोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए यह निर्णय सुनाया।
दोनों की 2014 में शादी हुई थी, लेकिन बहुत जल्द ही दोनों के बीच रिश्ते खराब हो गए और वे अलग रहने लगे। महिला ने छेड़खानी के आरोपों को लेकर ससुर के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज कराया, उसके बाद उसके पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी दी।
फैमिली कोर्ट ने पति के पक्ष में तलाक की मंजूरी देते हुए महिला के आरोपों को क्रूरता बताया। हाई कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने सबूतों की सही पहचान की एवं यह उचित ही पाया कि पत्नी ने पति पर झूठे आरोप लगाकर उसका चरित्र हनन किया। कोर्ट ने महिला की अपील खारिज कर दी, जिसने फैमिली कोर्ट के 31 जनवरी 2019 के आदेश को चुनौती दी थी।
फैमिली कोर्ट ने महिला से अलग रह रहे उसके पति के पक्ष में हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत तलाक मंजूर किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि अपील में भी महिला निचली अदालत के निष्कर्षों को गलत साबित करने के लिए भरोसेमंद सबूत नहीं ला पायी और उसकी दुर्भावना अपने ससुर के विरुद्ध अपने आरोपों को सार्वजनिक करने की उसकी स्वीकारोक्ति से स्पष्ट हो जाती है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे आरोप दुर्भावनावश लगाए जाते हैं, जो रिश्ते तो खराब करते ही हैं, जिसके विरुद्ध आरोप लगाए जाते हैं, उसको मानसिक प्रताड़ना भी झेलनी होती है। यह गंभीर क्रूरता है, जिसे हर हाल में रोका जाना चाहिए।