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पश्चिम बंगाल पुलिस को 25 करोड़ रुपए में ऑफर किया गया था इजरायली पेगासस स्पाईवेयर- ममता बनर्जी का बड़ा दावा

गुरुवार को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा, “वो लोग (NSO ग्रुप, इजराइली साइबर इंटेलिजेंस कंपनी) 4-5 साल पहले हमारे पुलिस विभाग में अपनी मशीन (पेगासस स्पाइवेयर) बेचने आए थे और 25 करोड़ रुपये की मांग की थी।

नई दिल्ली

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल की पुलिस को इजरायली पेगासस स्पाईवेयर 25 करोड़ रुपये में ऑफर किया गया था। बनर्जी का दावा है कि चार-पांच साल पहले यह सॉफ्टवेयर राज्य की पुलिस को देने का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन उन्होंने यह ऑफर ठुकरा दिया था।

‘नबन्ना’ राज्य सचिवालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने राजनेताओं, न्यायाधीशों और अधिकारियों के खिलाफ स्पाइवेयर का दुरुपयोग किये जाने का आशंका के चलते इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। बनर्जी ने कहा, “एनएसओ समूह चार से पांच साल पहले हमारे पुलिस विभाग में पेगासस स्पाइवेयर बेचने आए थे। इसके लिए 25 करोड़ रुपये की मांग की थी।

ममता बनर्जी ने कहा, “हालांकि मैंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था क्योंकि राजनीतिक रूप से इसके गलत इस्तेमाल होने की आशंका थी। जोकि स्वीकार्य नहीं है।” बता दें कि ममता बनर्जी मोदी सरकार पर इजरायली स्पाइवेयर के जरिए पत्रकारों, राजनेताओं, व्यापारियों और अन्य लोगों के फोन पर निगरानी रखने को लेकर लगातार निशाना साधती रही हैं। वह इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक की मांग कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि यह बात अलग है कि इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल देशद्रोहियों के खिलाफ या राष्ट्र की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसका उपयोग न्यायाधीशों और अधिकारियों के खिलाफ नहीं किया जाना चाहिए।

ममता बनर्जी ने बीजेपी नेताओं को जवाब देते हुए कहा कि विपक्षी नेताओं की जासूसी करा कर भाजपा सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की है। उन्होंने कहा कि मेरे खुद की जासूसी की हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा लोगों के बोलने की आजादी पर भी लगाम लगा रही है।

मीडिया समूहों के एक वैश्विक संघ ने जुलाई 2021 में खुलासा किया था कि दुनिया भर की कई सरकारों द्वारा राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों, कारोबारियों आदि की जासूसी करने के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया था। इसको लेकर द वायर की जांच की एक रिपोर्ट में बताया कि निगरानी होने की सूची में संभावित रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर, तत्कालीन चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, अब सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के नाम थे।

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