World News

पुतिन को रोकने में असफल होती दिख रही अमेरिका और यूरोप की रणनीति, अब आगे क्या?

Russia-Ukraine War: G-7 देशों ने शुक्रवार को रूस पर और अधिक “कड़े नए प्रतिबंध” लगाने का वादा किया. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि “हम पहले से ही असाधारण दबाव बढ़ाने” का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन पुतिन पर इन सब का प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं पड़ रहा है.

वॉशिंगटन:

यूक्रेन के समर्थन में मॉस्को पर अभूतपूर्व प्रतिबंध लगाने के बावजूद, पश्चिमी देश रूसी हमले को रोकने में विफल रहे हैं. यहां तक ​​कि हालात और खराब होने की उम्मीद की जा रही है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बढ़ाने के पश्चिमी देशों के पास सीमित विकल्प हैं.

G-7 देशों ने शुक्रवार को रूस पर और अधिक “कड़े नए प्रतिबंध” लगाने का वादा किया. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि “हम पहले से ही असाधारण दबाव बढ़ाने” का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन पुतिन पर इन सब का प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं पड़ रहा है.

अमेरिका ने अपने यूरोपीय सहयोगियों के साथ, रूसी वित्तीय प्रणाली और क्रेमलिन के करीबी बिजनेसमेन के खिलाफ अभूतपूर्व प्रतिबंध लगाने का फैसला किया. महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया, रूसी विमानों के लिए एयरस्पेस बंद कर दिए गए. उसे प्रमुख खेल प्रतियोगिताओं में शामिल होने से प्रतिबंधित कर दिया गया. दर्जनों कंपनियों ने रूस से अपना कारोबार समेटने की घोषणा की है.

यूक्रेन में युद्ध रोकने में आर्थिक प्रतिबंधों का कितना असर?

यूक्रेन में अमेरिका के पूर्व राजदूत विलियम टेलर ने न्यूज एजेंसह एएफपी से कहा, “कुछ लोगों ने सोचा था, और मैं भी इस समूह में शामिल हूं, कि ये सभी प्रतिबंध राष्ट्रपति पुतिन को रोकने के लिए पर्याप्त होंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा. और इसलिए मेरे लिए यह कहना स्पष्ट नहीं है कि और अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने पर पुतिन यूक्रेन से अपनी सेना को वापस बुला लेंगे.”

अब तक, रूस के ऊर्जा क्षेत्र को प्रतिबंधों से अपेक्षाकृत बख्शा गया है. कई अमेरिकी सांसद राष्ट्रपति जो बाइडेन से रूसी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह कर रहे हैं और इस मांग को राष्ट्रपति ने अभी खारिज नहीं किया है. कुछ सांसद रूसी वित्तीय प्रणाली को दुनिया के बाकी हिस्सों से पूरी तरह अलग करने का आह्वान कर रहे हैं, जबकि पश्चिमी देशों ने उन बैंकों पर प्रतिबंध लगाने में सतर्कता बरती है, जो कम से कम हाइड्रोकार्बन क्षेत्र से जुड़े हुए हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने उन उपायों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने से चेतावनी दी है, जो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को कम करेंगे और जिसके कारण अमेरिका और यूरोप में फ्यूल की कीमतें बढ़ जाएंगी. उन्होंने चेतावनी दी ऐसा कोई भी कदम पश्चिमी देशों के “रणनीतिक हित” में नहीं होगा. ऐसा लगता है कि समय के साथ मौजूदा प्रतिबंधों के प्रभाव पर अधिक दांव लगाया जा रहा है.

यूक्रेन को नो फ्लाई जोन क्यों नहीं घोषित कर रहा नाटो?

कीव और अन्य शहरों पर रूसी हवाई हमलों को सीमित करने के लिए, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने नाटो से अपने देश के हवाई क्षेत्र को नो-फ्लाई जोन घोषित करने की मांग की है. लेकिन अभी के लिए, ट्रान्साटलांटिक गठबंधन के लिए यह एक लाल रेखा है, जिसका यूक्रेन सदस्य नहीं है.

नाटो गठबंधन के महासचिव जेन्स स्टोलेनबर्ग ने कहा, “नो फ्लाई जोन लागू करने का एकमात्र तरीका नाटो लड़ाकू विमानों को यूक्रेन के हवाई क्षेत्र में भेजना है, और फिर रूसी विमानों को मारकर नो फ्लाई जोन लागू करना है. अगर हमने ऐसा किया, तो पूरे यूरोप में एक युद्ध शुरू हो सकता है. इसमें कई और देश शामिल हो सकते हैं, जिससे और अधिक लोग प्रभावित होंगे. यही कारण है कि हम यह निर्णय लेने से बच रहे हैं.”

परमाणु टकराव की आशंका को देखते हुए, कई विशेषज्ञ सोचते हैं कि अमेरिका और यूरोपीय तब तक विचलित नहीं होंगे, जब तक कि संघर्ष यूक्रेन या किसी अन्य गैर-नाटो देशों तक ही सीमित रहता है. हालांकि, वॉशिंगटन में एडम किंजिंगर और रोजर विकर जैसे कुछ निर्वाचित रिपब्लिकन मानते हैं कि नाटो सहयोगियों को अंततः नो-फ्लाई जोन का जोखिम उठाना होगा.

जब तक इस तरह का कोई फैसला नहीं होता, तब तक वॉशिंगटन और यूरोपीय संघ यूक्रेनी सेनाओं को हथियार देना जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. यहां भी, यूक्रेन को अधिक आक्रामक उपकरण प्रदान करने के पक्ष में आवाजें उठ रही हैं, जिनमें सोवियत निर्मित लड़ाकू विमान शामिल हैं, जो कुछ पूर्वी यूरोपीय देशों के पास हैं. यूक्रेनी पायलट इन विमानों को संभालने में पहले से ही दक्ष हैं.

प्रतिबंधों से रूस में तख्तापलट की उम्मीद कितनी सही है?

रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने अपने शब्दों की मर्यादा लांघते हुए उम्मीद जताई कि रूस में कोई पुतिन की हत्या कर दे. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने सीनेटर लिंडसे ग्राहम के बयान पर सफाई पेश करते हुए कहा, “हम किसी विदेशी नेता की हत्या या उसके देश में शासन परिवर्तन की वकालत नहीं कर रहे हैं. यह संयुक्त राज्य अमेरिका की नीति नहीं है.”

लेकिन कुछ का मानना ​​​​है कि रूसी अर्थव्यवस्था को बेपटरी करके, क्रेमलिन से निकटता रखने वाले रूसी बिजनेसमेन की संपत्तियों को जब्त करके, पुतिन पर दवाब बनाया जा सकता है. फ्रांस की सैन्य अकादमी में इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक रिसर्च के निदेशक जीन-बैप्टिस्ट जीनजीन विल्मर ने ऑनलाइन साइट ”वॉर ऑन द रॉक्स” के लिए लिखे एक लेख में कहा, ”कड़े आर्थिक प्रतिबंधों से रूस में तख्तापलट या बिजनेसमेन रिवोल्ट की संभावना बन सकती है.”

पुतिन को समझाने में चीन ज्यादा प्रभावी साबित हो सकता है

रैंड कॉरपोरेशन थिंक टैंक के सैमुअल चरप जैसे लोग इसको लेकर अधिक संशय में हैं. चरप के अनुसार, जो बाइडेन को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की तरह रूस से बातचीत जारी रखना चाहिए, ताकि वह अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन से पीछे हटने के लिए मनाने की कोशिश कर सकें. पुतिन को झुकाने के लिए प्रतिबंधों की शक्ति पर भरोसा करना बेहतर नजरिया नहीं है.

कुछ जानकार इसकी बजाय संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के एक अन्य विरोधी, चीन पर दांव लगा रहे हैं. एक पश्चिमी राजनयिक ने उल्लेख किया कि “बीजिंग जो हो रहा है उससे अधिक असहज होता जा रहा है” और रूसी अर्थव्यवस्था पर पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने के लिए, रूस की सहायता के लिए नहीं आगे आया है. राजनयिक ने कहा, इसलिए चीन पर्दे के पीछे पुतिन को समझाने में पश्चिम की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकता है.

 

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button