हेल्थ

घुटने के दर्द से रहते हैं परेशान, इस एक तकनीक से मिलेगा दर्द से छुटकारा

घुटने के दर्द से अक्सर लोग परेशान रहते हैं. लगभग 95% रोगियों के मामले में घुटने का अंदरूनी भाग बाहरी भाग की तुलना में अधिक तेजी से क्षतिग्रस्त होता है. घुटने से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए अब पार्शियल नी रिप्लेसमेंट तकनीक एक कारगर इलाज के रूप में सामने आई है. इसमें कम दर्द होता है और मरीज अपेक्षाकृत जल्दी चलने-फिरने की क्षमता हासिल कर लेता है.

आपके घुटने (Knee) मजबूत हैं, तो आप सही मायनों में स्वस्थ्य कहलाएंगे. आखिरकार, हड्डियों के इस जोड़ (Knee Health) पर ही तो पूरे शरीर को संभाले रखने की जिम्मेवारी होती है. ऐसे में अगर घुटने कमजोर हो जाएं, तो शरीर भला कैसे खड़ा रह सकता है. आज के जमाने में अनियमित जीवनशैली और अनियमित खानपान के कारण लोगों के घुटने 40 से 45 की उम्र में ही खराब होने लगे हैं. घुटने में खराबी आने के साथ ही लोगों का चलना-फिरना भी दूभर हो जाता है. जब घुटने शरीर का वजन उठाए रखने में असमर्थ हो जाते हैं, तो फिर उन्हें बदल देना एक कारगर उपाय के रूप में सामने आया है.

सीताराम भरतीय इंस्टिट्यूट आफ साइंस एंड रिसर्च व होली फॅमिली हॉस्पिटल (नई दिल्ली) के वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. बीरेन नादकर्नी कहते हैं कि यदि आपके घुटने में बहुत ज्यादा दर्द होता है और इस दर्द की वजह से आप रात भर सो नहीं पाते, आप टहल नहीं पाते, एक्सरसाइज नहीं कर पाते, लंबे समय से अपने दर्द का इलाज करवा रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा, तो फिर घुटने के दर्द को गंभीरता से लेते हुए सही इलाज कराना जरूरी हो जाता है. घुटनों में असहनीय दर्द हो, तो उसकी जांच जल्द से जल्द करवाएं. आपकी उम्र, स्वास्थ्य की स्थिति और हड्डियों का घनत्व देखकर यह तय किया जा सकता है कि क्या आपके घुटने प्रत्यारोपित करना ही अंतिम विकल्प है या नहीं. घुटने की सर्जरी के दौरान सर्जन खराब हो चुके जोड़ को बदलकर धातु और प्लास्टिक के जोड़ को उसके स्थान पर लगा देता है. इस सर्जरी में हालांकि 60 से 90 मिनट ही लगते हैं.

पार्शियल नी रिप्लेसमेंट से पाएं घुटने के दर्द से छुटकारा

डॉ. बीरेन नादकर्नी कहते हैं कि आजकल पार्शियल (आंशिक) नी रिप्लेसमेंट या (Partial knee replacement) यूनिकंपार्टमेंटल नी रिप्लेसमेंट का सहारा भी लिया जाने लगा है. अधिकतर लोग इस क्रिया को ज्यादा अपना रहे हैं. यह एक बेहद सरल प्रक्रिया है. यह एक ऐसी पद्धति है, जिसमें जोडों के आंशिक बदलाव के माध्यम से पूरे घुटने के खराब होने की प्रक्रिया को धीमा किया जा सकता है. लगभग 95 प्रतिशत रोगियों के मामले में घुटने का अंदरूनी भाग बाहरी भाग की तुलना में अधिक तेजी से क्षतिग्रस्त होता है. परिणामस्वरूप घुटनों के जोड़ों पर पड़ने वाला दबाव असंतुलित हो जाता है.

कैसे की जाती है पार्शियल नी रिप्लेसमेंट

पार्शियल नी रिप्लेसमेंट के जरिए यदि इस क्षति को समय पूर्व ही रोक लिया जाए और घुटने के अंदरूनी भाग को बदल दिया जाए, तो बाहरी भाग पर पड़ने वाला दबाव कम हो जाएगा और घुटनों के क्षतिग्रस्त होने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाएगी. इससे वे जल्दी खराब होने से बच जाएंगे और उनकी उम्र भी बढ़ जाएगी. इसमें कम दर्द होता है और मरीज अपेक्षाकृत जल्दी से पुनः चलने-फिरने की क्षमता हासिल कर लेता है. इसके अलावा यह सर्जरी घुटनों के जोड़ों पर पड़ने वाले दबाव का संतुलन बनाए रखती है. इस सर्जरी में छोटा सा चीरा लगता है. रोगियों को हॉस्पिटल से 2 से 3 दिनों के अंदर छुट्टी मिल जाती है और थोड़े ही दिनों में वह अपनी सामान्य दिनचर्या के मुताबिक काम करने लगता है.

हड्डियों के रोग से बचने के टिप्स

  • घी, चीनी, चिकनाई युक्त चीजों का सेवन कम करें, संतुलित आहार लें.
  • खाने में कैल्शियम की मात्रा पर्याप्त रखें. हरी सब्जियां जरूर खाएं.
  • प्रतिदिन थोड़ा बहुत व्यायाम करें, जो सेहत के लिए फायदेमंद होगा.
  • मोटापे से बचे रहें. उठने-बैठने की आदतों में सुधार लाएं, ताकि घुटनों पर ज्यादा जोर न पड़े.

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