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30 की उम्र में अधिक होता है प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम, जानें इसके लक्षण, कारण

मासिक धर्म पूर्व या प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण अक्सर 30 की उम्र के आसपास महिलाओं में नजर आते हैं. पीरियड्स से संबंधित क्या है ये समस्या, इसके जोखिम, लक्षण, कारण क्या हैं, एक्सपर्ट से जानें यहां.

मासिक धर्म पूर्व या प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण (premenstrual syndrome) एक बहुत ही सामान्य परेशानी है। यह कुछ और नहीं बल्कि शारीरिक, भावनात्मक और व्यवहार संबंधी लक्षणों का एक ऐसा समूह है, जो डिंबोत्सर्जन (ओव्यूलेशन) के दौरान विकसित होता है और हर महीने मासिक धर्म (menstruation) के चक्र के अंतिम भाग में होता है। इससे रोजमर्रा की जिंदगी और गतिविधियों पर भी प्रभाव पड़ता है। मेडैल हेल्थकेयर (नई दिल्ली) की चिकित्सा सलाहकार डॉ. अकिला पार्वती एन कहती हैं कि अलग-अलग महिलाओं में पीएमएस (PMS) के लक्षण अलग-अलग तरह के होते हैं। ऐसा ज्यादातर पीरियड्स के दौरान उनके हार्मोन में बदलाव होने के कारण होते हैं। 70% से अधिक महिलाओं का कहना है कि उन्हें मासिक धर्म पूर्व के कुछ लक्षण (Symptoms of premenstrual syndrome) जैसे सूजन, सिरदर्द और मूड में बदलाव के संकेत मिलते हैं। कुछ महिलाओं के लिए तो ये साइड एफेक्ट्स इस हद तक गंभीर हो सकते हैं कि वे किसी भी काम को करने, ऑफिस-कॉलेज जाने में भी खुद को असमर्थ पाती हैं. हालांकि, हल्के संकेतों से खास परेशानियां नहीं होती हैं.

30 की उम्र में अधिक होता है प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम

डॉ. अकिला पार्वती एन कहती हैं कि इन सभी बातों पर विचार किया जाए, तो 30 की उम्र के आस-पास की महिलाओं को पीएमएस या प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होने की संभावना अधिक होती है। यदि इस पर ठीक से ध्यान न दिया जाए, तो यह जीवन के स्तर और मानसिक हालत को गंभीर रूप से बदल सकता है। इसका सबसे खतरनाक हिस्सा भावनात्मक लक्षण हैं, जो अति-संवेदनशीलता, मूड में अत्यधिक परिवर्तन, क्रोध, चिड़चिड़ापन और चिंता, डिप्रेशन के रूप में प्रकट होते हैं, जो पीरियड्स से पहले और उसके दौरान बिगड़ जाते हैं।

पीएमएस के जोखिम को कम करने के तरीके 

  • धूम्रपान से दूर रहने से आप एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, एन्ड्रोजन और गोनाडोट्रोपिन के स्तर में होने वाले बदलाव से तुरंत बच सकती हैं, जो पीएमएस के इटियोलॉजी में शामिल हैं।
  • पीएमएस के अत्यधिक जोखिम को कम करने के लिए एक्सरसाइज करें, शरीर का आदर्श वजन बनाए रखें, तनाव से बचें और शराब का सेवन कम करें.
  • पौष्टिक भोजन का सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसे आसानी से पचाया और शरीर द्वारा इसे उपयोग में लाया जा सकता है.
  • हर रात 7 से 9 घंटे नींद जरूर लें, ताकि कमजोरी को कम करने में मदद मिल सके.
  • मासिक धर्म पूर्व के समय में योग करने से इसके लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है. एक योग विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही योगाभ्यास करें.
  • प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का इलाज

    डॉ. अकिला बताती हैं कि यदि पीएमएस अधिक गंभीर हो जाता है और रक्तस्राव या ब्लीडिंग बंद नहीं होती है, तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेने और ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी जाती है। ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड तब किया जा सकता है, जब आपका मासिक धर्म चल रहा हो। इसका आपके पीरियड्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. हालांकि, आपको समय से पहले अपना टैम्पोन (स्त्राव रोकने वाला अवरोध) हटा देना चाहिए। स्त्रीरोग विशेषज्ञ पीएमएस लक्षणों को कम करने के लिए आपको उपयुक्त दवाएं और उपचार लिख सकती हैं. स्वस्थ जीवनशैली जीने के लिए कुछ आसान कदम उठाने से न सिर्फ पीएमएस के जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होगा.

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