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कोरोना:अल्ट्रा वायलेट किरणों से सेफ किया जा रहा है ट्रेनों का सफर, NWR ने जयपुर से की शुरुआत

भारतीय रेलवे ने अपनी ट्रेनों में कोरोना का संक्रमण रोकने और यात्रियों के सफर को सुरक्षित बनाने के लिये अब अल्ट्रा वायलेट किरणों (Ultra violet rays) का सहारा लेना शुरू कर दिया है. इसके तहत अब ट्रेनों की बोगी में यूवी रोबोट को छोड़ा जाता है. वह फर्श से लेकर सीटों तक होता हुआ खिड़कियों पर ये किरणें फेंकता है. यूवी किरणों से घातक से घातक वायरस को खत्म किया जा सकता है. यूवी मशीन से सभी डिब्बों को स्कैन किया जा रहा है

IRCTC: यूवी मशीन से सभी डिब्बों को स्कैन किया जा रहा है ताकि यात्रा को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सके.

जयपुर.

देशभर में इस समय कोरोना (Corona) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. रोजाना संक्रमित होने वालों का आंकड़ा 2 लाख से ज्यादा आ रहा है. ऐसे में रेलवे (Indian Railways ) ने यात्रा को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए अल्ट्रा वायलेट किरणों (Ultra violet rays) का सहारा लिया है. इस समय सबसे ज्यादा यात्रीभार ट्रेनों में बढ़ रहा है. हालांकि ट्रेनों (Trains) के नियमित रूप से सेनेटाइज किया जाता है लेकिन इसके बावजूद अतिरिक्त एहतियात बरतने के लिए यूवी किरणों की मशीनों को काम में लिया जा रहा है. दुबारा संचालन के साथ ही देशभर में ट्रेनों में ज्यादातर जनरल टिकट पर भी यात्रा शुरू हो चुकी है.

जनरल टिकट पर यात्रा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग सबसे ज्यादा बाधित होती है. लिहाजा रेलवे ने यूवी मशीनों को काम पर लगा दिया है. इसकी शुरुआत उत्तर पश्चिम रेलवे के जयपुर मंडल से की गई है. फिलहाल 13 ट्रेनों को यूवी प्रोटेक्शन देने का काम चल रहा है. यूवी किरणों से घातक से घातक वायरस को खत्म किया जा सकता है. यूवी मशीन से सभी डिब्बों को स्कैन किया जा रहा है ताकि यात्रा को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सके.

यूवी के इस्तेमाल से वायरस का घातक हमला रुक सकता है
यूवी जिंदा कोशिकाओं के डीएनए या आरएनए को नष्ट करने में बहुत कारगर होती है. फिर चाहे वो इंसानों की कोशिकाएं हों या वायरस की.
हालांकि ये खतरनाक किरणें सूरज से निकलती है लेकिन इंसानों तक पहुंचने से पहले ओजोन परत इसे रोक लेती है. इसलिए इन किरणों को वैज्ञानिकों ने लैब में बनाया. यूवी किरणों का इस्तेमाल वर्तमान समय में अस्पतालों, हवाई जहाजों, दफ्तरों और कारखानों में लगभग रोजाना कीटनाशक के तौर पर होता है.

अभी विस्तृत तौर पर अध्ययन नहीं किया गया है
हालांकि कोरोना वायरस को ये किस हद तक खत्म कर सकती है इसका अभी विस्तृत तौर पर अध्ययन नहीं किया गया है. लेकिन कोरोना वायरस के एक वेरिएंट सार्स वायरस पर इसके असर को लेकर काफी अध्ययन किया जा चुका है और नतीजे कहते है कि अल्ट्रा वायलेट किरणों से सार्स कोरोना वायरस को मारा जा सकता है.

बोगी में यूवी रोबोट को छोड़ा जाता है
बहरहाल खाली खड़ी ट्रेनों पर यूवी किरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है. एक बोगी में यूवी रोबोट को छोड़ा जाता है तो वह फर्श से लेकर सीटों तक होता हुआ खिड़कियों पर ये किरणें फेंकता है. यात्रियों को भी चाहिए कि वो इस समय कोविड गाइडलाइंस नियमों की पालना करें और मास्क लगाकर ही यात्रा करें.

 

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