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विश्व असमानता रिपोर्ट2022 : मोदी राज में ऐसी आई बराबरी कि देश के 1 प्रतिशत लोग बन बैठे देश के 22 प्रतिशत इनकम के मालिक

World Inequality Report 2022 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए दिन देश में गरीबी हटाने के बड़े-बड़े दावे करते है लेकिन पीएम मोदी के इन झूठे दावों की पोल एक रिपोर्ट ने खोल दी है। विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 की रिपोर्ट में इस तथ्य की पुष्टि की गई है। World Inequality Report 2022 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए दिन देश में गरीबी हटाने के बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन पीएम मोदी के इन झूठे दावों की पोल एक रिपोर्ट ने खोल दी है। विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 की रिपोर्ट में इस तथ्य की पुष्टि की गई है। साथ ही यह रिपोर्ट पीएम मोदी के झूठे वादों पर भी सवाल उठाया है। भारत एक गरीब और काफी असमानता वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है। जहां वर्ष 2021 में एक फीसदी आबादी के पास राष्ट्रीय आय का 22 फीसदी हिस्सा है। वहीं निचले तबके के पास 13 फीसदी है। सामने आई एक रिपोर्ट में यह कहा गया है ‘विश्व असमानता रिपोर्ट 2022’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के लेखक लुकास चांसल हैं जोकि ‘वर्ल्ड इनइक्यूलैटी लैब’ के सह-निदेशक हैं। इस रिपोर्ट को तैयार करने में फ्रांस के अर्थशास्त्री थॉमस पिकेट्टी समेत कई विशेषज्ञों ने सहयोग दिया है। भारत दुनिया के सर्वाधिक असमानता वाले देशों की सूची में शामिल विश्व असमानता रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब दुनिया के सर्वाधिक असमानता वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की वयस्क आबादी की औसत राष्ट्रीय आय 204200 रुपये है। वहीं निचले तबके की आबादी यानी कि 50 प्रतिशत लोगों की आय 53610 रुपये है और शीर्ष 10 फीसदी आबादी की आय इससे करीब 20 गुना यानी कि 1166520 रुपये से अधिक है। 1% लोगों के पास ही है देश की 22% इनकम विश्व असमानता रिपोर्ट के अनुसार भारत की शीर्ष 10 फीसदी आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी, जबकि एक फीसदी आबादी के पास 22 फीसदी है। जबकि नीचे से 50 फीसदी आबादी की इसमें हिससेदारी मात्र 13 फीसदी है। जिसके अनुसार भारत में औसत घरेलू संपत्ति 983010 रुपये है। इसमें कहा गया है कि ‘भारत एक गरीब और काफी असमानता वाला देश है जहां कुलीन वर्ग के लोग भरे पड़े हैं।’ इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में लैंगिक असमानता बहुत अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार महिला श्रमिक की आय की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है। यह एशिया के औसत यानी कि चीन को छोड़कर 21 प्रतिशत से कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अकेले 1% लोगों के पास ही है देश की 22% इनकम है।

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