मनोरंजन

हिजाब के पक्ष में नहीं, लेकिन लड़कियों को डराने-धमकाने की कोशिश कर रहे गुंडों के खिलाफ : जावेद अख्तर

जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने गुरुवार को कहा कि वह कभी हिजाब या बुर्का के समर्थक नहीं रहे हैं, लेकिन कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब पहनने वाली लड़कियों को ‘डराने’ की कोशिश करने वालों से बहुत नाराज हैं

जावेद अख्तर ने इस विवाद को लेकर टि्वटर के जरिये अपनी राय रखी.

मुंबई: 

पटकथा लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने गुरुवार को कहा कि वह कभी हिजाब या बुर्का के समर्थक नहीं रहे हैं, लेकिन कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब पहनने वाली लड़कियों को ‘डराने’ की कोशिश करने वालों से बहुत नाराज हैं और इसको लेकर काफी गुस्से में हैं. कर्नाटक के कुछ हिस्सों में हिजाब पहनने के पक्ष में और उसके खिलाफ प्रदर्शन तेज हो गए हैं. दक्षिणी राज्य में सरकार द्वारा पिछले सप्ताह उसके द्वारा निर्धारित वर्दी या निजी संस्थानों के प्रबंधन को स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के लिए गणवेष अनिवार्य बनाने के आदेश के बाद मंगलवार को कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए थे. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने तीन दिन के लिए स्कूल और कॉलेज बंद करने के आदेश दिए.

जावेद अख्तर ने इस विवाद को लेकर टि्वटर के जरिये अपनी राय रखी और कहा कि कुछ “गुंडे” जिस तरह से लड़कियों को “डरा” कर परेशान कर रहे हैं उसको लेकर वह बेहद गुस्से में हैं.

मशहूर गीतकार ने ट्वीट (Tweet) किया, “मैं कभी हिजाब या बुर्का के पक्ष में नहीं रहा हूं. मैं अब भी अपनी इस राय पर पूरी तरह से कायम हूं, लेकिन साथ ही मैं इन गुंडों की भीड़ को लेकर बेहद नाराज हूं, जो लड़कियों के एक छोटे समूह को डराने की कोशिश कर रहे हैं और वह भी असफल. क्या यही है उनकी ‘मर्दानगी’ का विचार. बेहद अफ़सोसजनक.”

 

बता दें,  हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई थी लेकिन हाईकोर्ट ने इस केस को बड़ी बेंच में सुने जाने की सिफारिश की .बड़ी बेंच अब इस मुद्दे पर विचार करेगी कि क्या स्कूल-कॉलेज किसी मुस्लिम लड़की  को हिजाब पहनकर आने से रोक सकते हैं या नहीं. इसको लेकर संवैधानिक और मौलिक अधिकारों से जुड़े तमाम मुद्दों पर भी हाईकोर्ट की बड़ी खंडपीठ विचार करेगी.

कक्षाओं में हिजाब को लेकर प्रतिबंध के खिलाफ कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने कहा था कि पर्सनल लॉ के कुछ पहलुओं के मद्देनजर ये मामले बुनियादी महत्व के कुछ संवैधानिक प्रश्नों को उठाते हैं.न्यायमूर्ति दीक्षित ने कहा था, ‘‘ऐसे मुद्दे जिन पर बहस हुई और महत्वपूर्ण सवालों की व्यापकता को देखते हुए अदालत का विचार है कि मुख्य न्यायाधीश को यह तय करना चाहिए कि क्या इस विषय में एक बड़ी पीठ का गठन किया जा सकता है.’

 

(इस खबर को  CRIME CAP NEWS टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button