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बाबुल सुप्रियो ने राजनीति छोड़ी, सांसदी भी छोड़ेंगे, बीजेपी को लेकर क्या कहा?

पूर्व केंद्रीय मंत्री (राज्य प्रभार) और बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो ने शनिवार को राजनीति को अलविदा कह दिया है.

सुप्रियो ने अपने फ़ेसबुक पेज़ पर एक पोस्ट लिखकर इस बारे में विस्तार से जानकारी दी है.

बांग्ला भाषा में लिखी गई इस पोस्ट में बाबुल सुप्रियो ने बताया है कि वह जल्द ही लोकसभा सांसद से इस्तीफ़ा दे देंगे और अपना सरकारी आवास ख़ाली कर देंगे.

उन्होंने लिखा है, “चलता हूँ, अलविदा, अपने माँ-बाप, पत्नी, दोस्तों से बात करके मैं कह रहा हूँ कि मैं अब (राजनीति) छोड़ रहा हूँ.

उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो रहे हैं.

उन्होंने लिखा है, “मैं किसी राजनीतिक दल में नहीं जा रहा हूँ. टीएमसी, कांग्रेस, सीपीआई (एम)…किसी ने मुझे नहीं बुलाया है. मैं कहीं नहीं जा रहा हूँ. मैं एक टीम के साथ रहने वाला खिलाड़ी हूँ.”

”हमेशा सिर्फ़ एक टीम मोहन बागान का समर्थन किया है. सिर्फ़ एक पार्टी बीजेपी (पश्चिम बंगाल) के साथ रहा हूँ. बस यही है, अब चलता हूँ.”

“मैं बहुत दिन रह लिया. मैंने किसकी मदद की है. किसको निराश किया है. ये फ़ैसला अब लोगों को करना है. किसी को भी सामाजिक काम करने के लिए राजनीति में रहने की ज़रूरत नहीं हैं.”

मोदी सरकार ने हाल में मंत्रिमंडल का विस्तार और उसमें फेरबदल किया था तो बाबुल सुप्रियो को मंत्री पदा से हटा दिया था. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी बाबुल सुप्रियो को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था लेकिन सुप्रियो क़रीब 50 हज़ार वोट के अंतर से टीएमसी के अरूप बिस्वास से हार गए थे.

क्यों कहा राजनीति को अलविदा

साल 2014 में लोकसभा सांसद बनकर संसद पहुंचने वाले बाबुल सुप्रियो अब तक कई मंत्रालयों का कार्यभार संभाल चुके हैं.

लेकिन पश्चिम बंगाल चुनाव में पचास हज़ार वोटों से हार के बाद इस महीने की शुरुआत में उनके हाथ से मंत्री पद भी चला गया.

बाबुल सुप्रियो ने मंत्री पद जाने को राजनीति छोड़ने की एक वजह के रूप में गिनाया है.

उन्होंने लिखा है कि “अगर कोई पूछे कि क्या मंत्री पद हाथ से जाना राजनीति छोड़ने से जुड़ा हुआ है तो ये एक हद तक सच है. लेकिन चुनाव शुरू होने से पहले से ही मेरे राज्य प्रभारियों से मतभेद थे.”

पार्टी से नाराज़गी

नाम लिए बिना सुप्रियो ने लिखा है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी के शीर्ष नेताओं में कलह मची हुई है, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है.

उन्होंने लिखा, “मैं कहना चाहूंगा कि चुनाव से पहले से ही मेरे और पार्टी नेतृत्व में काफ़ी विरोधाभास था. मुझे लगा कि ये सब सामान्य है लेकिन अक्सर इन घटनाओं को उठाया जा रहा था. इसके लिए कुछ लोग ज़िम्मेदार थे और मैं भी उतना ही ज़िम्मेदार था. मैंने भी एक पोस्ट लिखी थी, जिसे पार्टी अनुशासन के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है.”

”लेकिन ये स्पष्ट था कि शीर्ष नेताओं में वैचारिक मतभेद सिर्फ़ पार्टी के लिए ही नुक़सानदायक नहीं था बल्कि ज़मीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने के लिए भी काफ़ी था.”

सुप्रियो ने कहा है कि पाँच साल के अंदर बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में एक लंबा सफर तय किया है. पहले सिर्फ़ वह थे और आज काफ़ी नए नेता हैं.

उन्होंने लिखा है, “आज पार्टी में कई नए और शानदार नेता हैं. कुछ युवा हैं और कुछ अनुभवी हैं. इसमें दो राय नहीं हैं कि उनके मार्गदर्शन में पार्टी बंगाल में बहुत आगे जाएगी. मुझे ये कहने में कोई गुरेज़ नहीं है कि आज पार्टी के लिए कोई एक शख़्स ज़्यादा अहमियत नहीं रखता. और ये पूरी तरह स्पष्ट है. मुझे लगता है कि ये सही फैसला होगा.”

बाबुल सुप्रियो

इमेज स्रोत,GETTY IMAGES

पहले भी दर्ज करा चुके हैं नाराज़गी

बाबुल सुप्रियो इससे पहले भी फेसबुक पोस्ट के ज़रिए मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के प्रति अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर चुके हैं.

सुप्रियो ने पिछले महीने सात जुलाई को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दिया था.

अपने इस फ़ैसले की सूचना देते हुए उन्होंने अपने फ़ेसबुक पेज़ पर लिखा था कि “उनसे इस्तीफ़ा देने के लिए कहा गया” है.

लेकिन इसके कुछ देर बाद उन्होंने अपनी फ़ेसबुक पोस्ट में परिवर्तन करते हुए लिखा कि ‘इस्तीफ़ा देने के लिए कहा गया’ शायद ये सूचना देने का सही ढंग नहीं था.

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