हेल्थ

किशोरावस्था में अधिक BMI वयस्क उम्र में सेहत के लिए बन सकता है खतरा

,कैलिफोर्निया

किशोर उम्र में बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का उच्च स्तर वयस्क उम्र में सेहत पर असर डालता है। इसके कारण टाइप टू मधुमेह, हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ता है और पूरी सेहत प्रभावित होती है। फिर इससे भी कोई असर नड़ी पड़ता कि वयस्क उम्र में बीएमआई का स्तर क्या है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित एक शोध में यह बात सामने आई है। बीएमआई को शारीरिक वजन और लंबाई के आधार पर मापा जाता है। राष्ट्रीय हृदय, फेफड़े और रक्त संस्थान के अनुसार बीएमआई श्रेणियों को इस प्रकार परिभाषित किया गया है- 18.5 किग्रा/एम2 से कम वजन का सूचक होता है। 18.5 से 24.9 सामान्य वजन का सूचक है। 25 से 29.9 अधिक वजन का और 30 या इससे अधिक मोटापे का संकेत है।

दो दशक से अधिक के डाटा का अध्ययन किया
शोधकर्ताओं ने 12,300 किशोरों के 24 साल के डाटा का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने उनके बीएमआई जेड स्कोर का विश्लेषण किया, जो कि एक बच्चे की उम्र और लिंग के लिए समायोजित वजन है। अध्ययन में मरीजों की उम्र 11 से 18 वर्ष के बीच थी और इनमें 51.4 प्रतिशत महिलाएं थीं। शोधकर्ताओं ने जातीयता, लिंग, आयु, शिक्षा, घरेलू आय और तंबाकू व शराब के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए विश्लेषणों को समायोजित किया। सभी परिणाम सेल्फ रिपोर्ट पर आधारित थे।

मधुमेह का खतरा 8.8 प्रतिशत अधिक
इस अध्ययन में औसत आधारभूत बीएमआई 22.4 किग्रा/एम2 था। किशोरावस्था में प्रत्येक एक इकाई उच्च बीएमआई जेड-स्कोर 24 सालों के बाद वयस्कता में 4.17 किग्रा/एम 2 उच्च बीएमआई से जुड़ा था। किशोरावस्था में उच्च बीएमआई को वयस्क उम्र में समग्र रूप से खराब स्वास्थ्य में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि से जुड़ा पाया गया। साथ ही इससे टाइप 2 मधुमेह 8.8 प्रतिशत जोखिम बढ़ा। इसके कारण 30 और 40 के दशक में शुरुआती दिल के दौरे के जोखिम में 0.8  प्रतिशत वृद्धि हुई थी। यह अध्ययन युवा वयस्कों में प्रतिकूल संबंधों को प्रदर्शित करने वाला अपनी तरह का पहला अध्ययन है।

हृदयरोगों की समझ विकसित होगी
अध्ययन के प्रमुख लेखक एवं कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में किशोर और युवा वयस्क चिकित्सा विभाग में बाल रोग के सहायक प्रोफेसर जेसन एम का कहना है कि अध्ययन के जरिए यह पता लगना कि किशोरावस्था में अधिक बीएमआई वयस्क उम्र में सेहत के लिए खतरा है, दरअसल हृदय रोग की शुरुआत की हमारी समझ विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। शोधकर्ताओं का कहना है कि निष्कर्ष दर्शाते हैं कि मोटापे की शुरुआत और संचयी मोटापा जोखिम दोनों इंसुलिन प्रतिरोध और एथेरोस्क्लेरोसिस में योगदान करते हैं।

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