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तृणमूल सरकार के खिलाफ राष्ट्रपति शासन कि धमकी को पसंद नहीं करेंगे लोग: राजीव बनर्जी

इस साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये नेता राजीव बनर्जी ने मंगलवार को सोशल मीडिया पोस्ट में अपने नये दल को चेतावनी दी कि ‘‘ लोग भारी जनादेश से चुनी गयी गयी सरकार के खिलाफ राष्ट्रपति शासन की धमकी को पसंद नहीं करेंगे।’’

जनवरी में तृणमूल कांग्रेस छोड़ने के बाद बनर्जी ने कहा था कि वह ऐसा करने के लिए बाध्य हुए क्योंकि तृणमूल नेताओं के एक वर्ग ने ‘‘उनके कामकाज के तौर तरीके को लेकर अपनी शिकायतें सामने रखने पर उन्हें अपमानित किया।’’चुनाव बाद हिंसा को लेकर प्रदेश भाजपा नेतृत्व की बैठक से दूर रहने वाले राज्य के पूर्व मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी एवं यास तूफान से उत्पन्न इस संकट की घड़ी में सभी को राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और राज्य के लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए।

बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘अगर जनता के भारी समर्थन से चुनी गई सरकार का महज विरोध करने के लिए दिल्ली और अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) की धमकियों का इस्तेमाल किया जाता है, तो लोग इसे पसंद नहीं करेंगे। हमें राजनीति से ऊपर उठना चाहिए एवं बंगाल के लोगों के साथ खड़ा रहना चाहिए, जो कोविड और यास से तबाह हो गये हैं। ’’बनर्जी दोमजूर सीट से विधानसभा चुनाव हार गये थे। पिछले कुछ सप्ताह में दल-बदलने वाले तृणमूल कांग्रेस के कई पूर्व नेताओं ने ममता बनर्जी के खेमे में लौटने की इच्छा प्रकट की है, उनमें पूर्व विधायक सोनाली गुहा एवं दीपेंदु बिस्वास आदि प्रमुख नेता हैं। कुछ अन्य भी कथित रूप से तृणमूल नेतृत्व को संकेत दे रहे हैं और उन्हें तृणमूल में वापसी की आस है।

हाल ही में तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी द्वारा दो जून को भाजपा नेता मुकुल रॉय की बीमार पत्नी को देखने के लिए अस्पताल पहुंचने के बाद इस बात की अटकलें तेज हो गयीं कि राजनीतिक समीकरण में बदलाव आ सकता है। राय तृणमूल कांग्रेस में महासचिव थे। हाल ही में अभिषक बनर्जी को महासचिव बनाया गया है। राय 2017 में भाजपा में शामिल हो गये थे। राय प्रदेश भाजपा नेतृत्व द्वारा मंगलवार को बुलायी गयी बेठक में भी नहीं पहुंचे।

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