चाणक्य नीति: ये 5 बातें अपना कर व्यक्ति कष्टों से पा सकता है मुक्ति !

आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) कहते हैं कि क्रोध साक्षात यम है. इसी तरह तृष्णा नरक की ओर ले जाने वाली वैतरणी है. वहीं ज्ञान कामधेनु है और संतोष सबसे बड़ा सुख है.
Chanakya Niti: जिसमें परोपकार की भावना है, वही संकट को हरा सकता है.
राजनीति के प्रकाण्ड पंडित आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) द्वारा लिखित नीतियां आज के समय में भी बेहद प्रासंगिक हैं. इसमें जीवन के महत्वपूर्ण विषयों की ओर ध्यान दिलाया गया है. उन्होंने हर वर्ग के लोगों के लिए अपने अनुभवों से संचित ज्ञान प्रस्तुत किया है. साथ ही व्यक्ति के संबंधों, उसके जीवन में आने वाले सुख-दुख समेत जीवन की अन्य समस्याओं का जिक्र करते हुए इनके समाधान पर भी बात की है. चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है और वह अकेले ही मृत्यु प्राप्त करता है. आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्यों और अन्य प्राणियों में खाना, सोना, घबराना और गमन करना एक समान ही है. मनुष्य अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ है, तो सिर्फ अपने विवेक, ज्ञान की बदौलत. इसलिए जिन मनुष्यों में ज्ञान नहीं है वे पशु हैं. आप भी जानिए चाणक्य नीति की महत्वपूर्ण बातें.
दूसरों को न दें संपत्ति
चाणक्य नीति कहती है कि विद्वान पुरुष अपनी संपत्ति केवल पात्र को ही दें. दूसरों को कभी न दें. इसी तरह जैसे कि जो जल बादल को समुद्र देता है वह मीठा होता है. फिर बादल वर्षा करके वह जल पृथ्वी के सभी चल अचल जीवों को देता है. फिर उसे समुद्र को लौटा देता है.
मनुष्य अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ है
आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्यों में और निम्न स्तर के प्राणियों में खाना, सोना, घबराना और गमन करना एक समान ही है. मनुष्य अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ है, तो सिर्फ अपने विवेक, ज्ञान की बदौलत. इसलिए जिन मनुष्यों में ज्ञान नहीं है वे पशु हैं.
जीवों के प्रति परोपकार की भावना
चाणक्य नीति कहती है कि जिसमें सभी जीवों के प्रति परोपकार की भावना है, वह सभी संकटों को हरा सकता है और उसे हर कदम पर सभी प्रकार की सम्पन्नता प्राप्त होती है.
माथे का शृंगार कम हो जाता है
आचार्य चाणक्य के अनुसार मदमस्त हाथी अपने माथे से टपकने वाले रस को पीने वाले भौरों को कान हिलाकर उड़ा देता है, तो भौरों का कुछ नहीं जाता, वे कमल से भरे हुए तालाब की ओर ख़ुशी से चले जाते है. मगर हाथी के माथे का शृंगार कम हो जाता है.
तृष्णा नरक की ओर ले जाती है
चाणक्य नीति कहती है कि क्रोध साक्षात यम है. इसी तरह तृष्णा नरक की ओर ले जाने वाली वैतरणी है. वहीं ज्ञान कामधेनु है. संतोष ही तो नंदनवन है. (साभार/हिंदी साहित्य दर्पण) (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं.क्राइम कैप न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)