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तनाव से घटती है रोग प्रतिरोधक क्षमता, डॉक्टर्स से जानें कैसे सतुंलन बनाकर करें सामना

नई दिल्ली

दूसरी लहर के दौरान बने भय के माहौल में किसी का भी तनाव से घिर जाना स्वाभाविक है। पर वक्त की जरूरत है कि हम वास्तविक स्थितियों का सामना करते हुए भी उम्मीद का दामन न छोड़े क्योंकि तनाव लेते ही इम्युनिटी पर शरीर के रोगों से लड़ने की ताकत घटने लगेगी। दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल की क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रेरणा शर्मा यह सलाह देती हैं। उनका कहना है कि वास्तविकता को स्वीकार करने से हम अपनी सुरक्षा के प्रति सतर्क बनेंगे और उम्मीद बनाए रखने से हमारा शरीर उन प्रक्रियाओं पर बेहतर रिस्पांस करेगा जो हमारी इम्युनिटी के लिए जरूरी हैं।

मन स्वस्थ तो शरीर सेहतमंद- 
डॉ. प्रेरणा शर्मा का कहना है कि महामारी के इस दौर में शरीर को सेहतमंद रखने के लिए हम सभी प्रयास कर रहे हैं, पर हमें यह समझना होगा कि मन और शरीर एक-दूसरे से जुड़े हैं। ऐसे में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मन को स्थिर रखना आवश्यक है। आज के दौर में मन को स्थिर रखने का प्रयास मुश्किल जरूर है पर अपने मन को संभव उपायों के लिए प्रेरित करते हुए मन को स्थिर रखा जा सकता है। हालिया स्थिति के उन उपायों के बारे में सोचिए और करने का प्रयास कीजिए जो आपके वश में हों।

स्थितियों को स्वीकारना जरूरी- 
डॉ. प्रेरणा का कहना है कि तनाव से बचने का यह तरीका नहीं हो सकता कि हम आसपास की घटनाओं के प्रति आंखें मूंद लें। हमारे आसपास जो भी अच्छा-बुरा घट रहा हो, हमें उन स्थितियों के प्रति अवश्य ही जागरूक होना पड़ेगा और उन स्थितियों की सच्चाई स्वीकारनी होगी। उनका कहना है कि जब असल हालात के बारे में हमें सही जानकारी होगी, तब ही हम मानसिक तौर पर अपने आपको उन स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार कर सकेंगे। वे उदाहरण देती हैं कि जब किसी व्यक्ति को इस बात की सही जानकारी होगी कि उसके इलाके में संक्रमण के क्या हालात हैं, तभी वह मास्क लगाने या घर तक ही सीमित रहने जैसे उपायों के प्रति गंभीर होगा।

अच्छे समय का विचार –
मनोविशेषज्ञ डॉ. प्रेरणा बताती हैं कि कोरोना महामारी के इस दौर में अपने आप को सभी स्थितियों के प्रति जागरूक रखने की जरूरत तो है पर हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि हम चौबीसों घंटे उस हालात से जुड़ी सोच में ही न डूबे रहें। खुद को दिन में 10-15 मिनट के लिए उन कल्पनाओं में भी ले जाएं, जहां आप महामारी से पहले का वो वक्त याद करें जब आप अपनों को बेहिचक गले लगा सकते थे। या फिर महामारी के बाद के उस वक्त की उम्मीद की कल्पना भी मन में करते रहें कि जब सब ठीक हो जाएगा तो आपको हर वक्त मास्क या सेनेटाइजर की जरूरत नहीं होगी। अपने परिवार के सदस्यों को भी इस तरह की बातचीत में शामिल कराएं और देखें आप कुछ पल के लिए वास्तविकता से हटकर कुछ खुशनुमां अहसास से भर जाएंगे।

श्वसन व्यायाम से राहत मिलेगी
मन को तनावमुक्त बनाने के लिए उसे हाल की स्थितियों से कुछ देर के लिए दूर ले जाना जरूरी है। श्वसन क्रियाएं एक तरीके का रिलैक्स रिस्पॉन्स हैं, जिसे हर दिन कम से कम 30 मिनट तक करना लाभदायक होगा। ये क्रियाएं करने के लिए श्वास को रोककर रखें और फिर छोड़ें।  डॉ. प्रेरणा बताती हैं कि छोटे बच्चों को श्वसन क्रिया कराने के लिए गुब्बारे फुलाने जैसे अभ्यास भी लाभदायक हो सकते हैं।

सोशल आइसोलेशन से दूरी 
डॉ. प्रेरणा का कहना है कि इस वक्त न सिर्फ हम कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं बल्कि अपनों से दूरी के कारण हम ‘सोशल आइसोलेशन’ जैसी महामारी से भी पीड़ित हैं। ऐसे में तनाव होना स्वाभाविक है और इससे बचने का रास्ता यही है कि लोग आभासीय तौर पर ही सही पर अपनों से जरूर जुड़े रहें। फोन, सोशल मीडिया या वीडियो कॉलिंग के माध्यम से वे अपनों से अपने मन की बातें करें।

उम्मीद बांधे रखना जरूरी 
डॉ. प्रेरणा का कहना है कि इस विपरीत समय में हर व्यक्ति को उम्मीद रखने की सबसे ज्यादा जरूरत है। अपने मन में इस तरह के विचार न लाएं कि अगर कोई ऑक्सीजन पर है या किसी को वेंटिलेटर लगाया गया है तो वह ठीक नहीं हो सकता। वे कहती हैं कि हमें इस वक्त ऐसी कहानियों के बारे में भी याद रखना चाहिए जो साहस से भरी हैं, जैसे जब लोग अपनी जान का जोखिम लेकर भी श्मशानों में अंतिम संस्कार कराने को आगे आ रहे हैं।

इस तरह पहचानें अवसाद 
डॉ. प्रेरणा का कहना है कि मानसिक तनाव की स्थिति धीरे-धीरे पनपती है इसलिए किसी एक घटना से इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। पर अगर कोई व्यक्ति व्यक्ति ठीक से खा नहीं रहा है, उसके शरीर का वजन पांच प्रतिशत तक कम हो गया है, उसे नींद में समस्या है तो उसे मनोचिकित्सक की सलाह की जरूरत है।

मानसिक तनाव घटाता प्रतिरोधक क्षमता 
अमेरिका के नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के शोधकर्ताओं ने 300 शोधपत्रों के मेटा अध्ययन में पाया कि तीव्र तनाव के कारण शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रभावित होती है। ज्यादा तनाव लेने पर शरीर की इम्युनिटी के सेलुलर और ह्यूमरल दोनों तत्वों पर गहरा असर होता है।

हम किसी व्यक्ति से आंखें मूंदकर सकारात्मक रहने की अपेक्षा नहीं कर सकते पर इस दौर में हम लोगों को यह जरूर समझा सकते हैं कि वे उन चीजों पर विचार करें जो उनके वश में हैं। जैसे- मास्क पहनना, अपने खानपान और सेहत का ख्याल रखना। साथ ही महामारी से जुड़ी खबरों को देखने का एक समय निश्चित करें ताकि आपको घबराहट न हो।
– डॉ. प्रेरणा शर्मा, नैदानिक मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सा विभाग, आरएमएल अस्पताल  

तनाव को कम करने में हम षटकर्म, आसन, प्राणायाम और ध्यान की मदद भी ले सकते हैं। षटकर्म में कपालभाति और नेती क्रियाएं, आसान में उर्धसर्वांगासन, भुजंगासन और वज्रासन, प्राणायम में भ्रामरी और चंद्रभेदी तथा ध्यान में लघु आनापान किया जा सकता है।
डॉ. अशोक यादव, रिसर्च एसोसिएट (योग), मनोरोग विभाग, आरएमएल अस्पताल

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