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होम आइसोलेशन के दौरान पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन जांचने का ये है सही तरीका, सुरक्षित रहने के लिए आपका जानना भी है जरूरी

नई दिल्ली

अगर आप होम आइसोलेशन में हैं तो आपको दिन में चार से पांच बार अपनी ऑक्सीजन और दिल की धड़कन को मापना चाहिए। इसके लिए हम जिस उपकरण का इस्तेमाल करते हैं उसे पल्स ऑक्सीमीटर कहते हैं।

क्या होता है पल्स ऑक्सीमीटर-

पल्स ऑक्सीमीटर एक एक छोटा उपकरण होता है, जो चिमटी की तरह दिखता है। इसे चिमटी की तरह उंगली में फंसा कर ऑक्सीजन का स्तर मापा जाता है। इसकी स्क्रीन पर लिखा आ जाता है कि आपके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कितना है और आपके दिल की धड़कन कितनी है।

स्क्रीन पर 95 से 100 के आसपास डिजिट दिखे तो ये सामान्य है। अगर ऑक्सीजन रीडिंग 92 या उससे कम दिखाएं तब आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह उपकरण दिल की धड़कन भी दिखाता है। वयस्कों में सामान्यत: यह लगभग 60 से 100 बीट प्रति मिनट तक होती है, हालांकि बहुत फिट व खिलाड़ियों में ये और कम हो सकता है।

इस उपकरण को इस्तेमाल करने के भी तौर-तरीके हैं वरना यह गलत रीडिंग दिखा सकता है। इसके लिए सरकार ने बाकायदा एक गाइडलाइन जारी की है, देखें क्या कहती है गाइडलाइन :

घर पर इस तरह करें ऑक्सीजन चेक

1. ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल चेक करने से पहले आपकी अंगुली पर नेल पॉलिश नहीं होनी चाहिए। नाखून साफ होने चाहिए। इस उपकरण में सेंसर लगे होते हैं, इसलिए अगर उंगली पर कुछ लगा होगा तो रीडिंग गलत हो सकती है। यदि हाथ ठंडे हों तो दोनों हाथों को रगड़कर हाथ थोड़ा सा गर्म कर लें।

2. ऑक्सीजन नापने से पहले कम से कम पांच मिनट के लिए आराम करना चाहिए।

3. दिल की तरफ छाती पर अपना हाथ रखें। फिर ऑक्सीमीटर चालू करें और ऑक्सीमीटर में मध्यम या तर्जनी अंगुली रखें। हाथ व उंगलियों की स्थिति सीधी रखनी है उसे मोड़ें नहीं। आराम से सीधे बैठकर नापें।

4 ऑक्सीमीटर को उस हाथ में लगाएं जिस हाथ से आप अपने ज्यादातर काम करते हैं और उसी उंगली में लगाएं जिसमें आपने पिछली दफे लगाया था।

5 शुरुआत में उतार-चढ़ाव हो सकता है, इसलिए ऑक्सीजन लेवल स्थिर होने की प्रतीक्षा करें। जब तक रीडिंग स्थिर न हो तब तक ऑक्सीमीटर को कम से कम एक मिनट या उससे अधिक समय तक ऑन रखें। हाथ को स्थिर रखें।

6 दिन में चार बार एक ही अंतराल पर ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें या हर चार-चार घंटे में प्रत्येक रिकॉर्डिंग को नोट करें।

7 जब यह स्थिर हो जाए तो ही रिकॉर्डिंग चेक करें, हालांकि स्थिर होने के बावजूद दिल की धड़कन एक दो अंक फिर आगे पीछे हो जाती है तो ऐसे में अधिकतम है उसे नोट कर लें।

स्रोत : स्वास्थ्य मंत्रालय 

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