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लालू यादव को जमानत मिलने से बिहार में बदलेगी सियासी तस्वीर

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाईकोर्ट से दुमका कोषागार मामले में जमानत मिलने के बाद बिहार में विपक्ष के हौसले बुलंद होने लगे हैं, तो वहीं सरकार को ‘लालू के झटके’ का डर सताने लगा है.

  • पटना.
  • करोड़ों के चारा घोटाले के चार मामलों में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाईकोर्ट से दुमका कोषागार मामले में भी शनिवार को जमानत मिल गई. इसके साथ ही बिहार की सियासत का पारा चढ़ गया. विपक्ष के हौसले को उड़ान मिल गई, वहीं सरकार को लालू के झटके का भय सताने लगा है. जेल में रहते लालू प्रसाद ने जिस प्रकार सरकार को हिलाने का प्रयास किया था एनडीए उसे भूला नहीं है. इस कारण वो लालू के जमानत पर बाहर आने पर चौकस है. क्योंकि उसे पता है कि सत्ता की कुर्सी के जरूरी अंकों में बहुत ज्यादा का अंतर नहीं है.

    सियासी तोड़-फोड़ में मास्टर लालू प्रसाद जेल में रहते जब सरकार को अस्थिर कर सकते हैं, तो बाहर आने के बाद वे समय-समय पर सरकार को हिलाने-ढुलाने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे. अपनी इसी राजनीति के कारण लालू आज भी सत्‍ता पक्ष के निशाने पर होते हैं. साथ ही विपक्ष की राजनीति के केंद्र में भी होते हैं. कांग्रेस और वाम दलों समेत विपक्षी के दलों की राजनीति लालू की कृपा पर ही टिकी रहती है.

    लालू के आने से एकजुट होगा विपक्ष

    लालू प्रसाद के जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद बिखरे विपक्ष को भी एक नई ऊर्जा मिलेगी. तेजस्‍वी यादव के नेतृत्‍व को नहीं स्‍वीकार कर रहे नेता अब लालू के नेतृत्व में बड़े फैसले लेंगे. इसके साथ ही सत्ता पक्ष के खिलाफ लगातार आक्रामक तेजस्वी और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं के हमलों को एक नई धार मिलेगी और राजद परिवार को नैतिक बल हासिल होगा. इसका सीधा लाभ महागठबंधन को मिलेगा. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि पार्टी अपने कार्यक्रमों को तेज करेगी और अधूरे काम को हम पूरा कर लेंगे. यह पूछने पर कि कौन सा अधूरा काम, इस पर वे कहते हैं समय का इंतजार करें, आपके इस प्रश्न का भी जवाब मिल जायेगा. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं. लालू प्रसाद चुपचाप ही अगर हमारे पास बैठेंगे तो विपक्ष को ताकत मिलेगी. कुछ दिनों में आपको इसका असर दिखने लगेगा.

    राजनीति के मास्टर खिलाड़ी हैं लालू

    लालू प्रसाद पहली बार साल 1990 में मुख्यमंत्री बने, तब किसी को यह अंदाजा नहीं था कि वे तत्‍कालीन बड़े नेताओं जगन्नाथ मिश्रा, सत्येंद्र नारायण सिंह, भागवत झा आजाद और रामाश्रय प्रसाद सिंह के रहते अपनी मजबूत जगह बना पाएंगे. लेकिन, लालू अपनी राजनीतिक सूझबूझ के कारण शिखर पर पहुंचे. चारा घोटाले में नाम आने पर लालू प्रसाद ने कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम केसरी की बात मानते हुए अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप कर सभी को चौंका दिया था. इसके बाद वे पर्दे के पीछे से अपनी राजनीति करते रहे. इस दौरान वे केंद्र में भी सक्रिय रहे. लालू की राजनीति पर साल 2005 में तब ग्रहण लगा था, जब बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई सरकार का गठन हुआ. लेकिन लालू ने संकट को अवसर में तब्दील किया और बिहार के बदले दिल्ली को अपना कार्यक्षेत्र बना लिया. फिर केंद्र सरकार में रेल मंत्री बने और घाटे में चल रहे रेलवे को पहली बार मुनाफे में लाकर वे फिर चर्चा में आए.

    महागठबंधन का बंधन टूटा, चारा घोटाले में गए जेल

    नीतीश से लालू ने दोस्ती कर बिहार में भाजपा के विजय रथ पर ब्रेक लगा दिया. एक नया समीकरण बनया और बिहार में नीतीश के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार का गठन हुआ. नीतीश सरकार के साथ बिहार की सत्‍ता में आना, फिर नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड का महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल होना लालू प्रसाद के लिए एक बड़ा झटका था. लालू प्रसाद इस राजनीतिक आघात से अभी उबरे भी नहीं थे कि झारखंड में चल रहे चारा घोटाला के तीन मामलों में एक-एक कर लालू को सजा हो गई. इसके साथ लालू रांची की होटवार जेल भेज दिए गए. इसके बाद वे करीब साढ़े तीन साल बाद जमानत मिलने पर रिहा होंगे.

    कोर्ट के फैसले के पहले भगवान की शरण में पूरा परिवार

    चारा घोटाला के दुमका कोषागार मामले में रांची हाईकोर्ट में जमानत पर फैसले के पहले लालू प्रसाद का पूरा परिवार भगवान की शरण में पहुंच गया था. लालू की बेटी रोहिणी आचार्य रमजान के महीने में रोजा रखने के साथ चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा भी कर रही हैं. वहीं लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव भी मां दुर्गा की पूजा कर रहे हैं. इस बीच छोटे बेटे व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने झारखंड के देवघर में भगवान भोलेनाथ की पूजा की. संभवत: भगवान ने भी एक साथ इतने लोगों की अर्जी को सुना और लालू प्रसाद को शनिवार को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल गई. (डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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