सहनशक्ति खो रहे पुलिस वाले, गले की फांस बन रही ये छूट, जानिए कब-कब खाकी पर लगे दाग

जम्मू
पुलिस कर्मियों की अपराधियों से सांठगांठ, जघन्य अपराध विभाग और जनता के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। कुछ पुलिस कर्मी आपा खोकर खाकी को दागदार कर रहे हैं। साथ ही कर्मियों को हथियार देकर घर भेजना भी महंगा साबित हो रहा है। खासकर सरकारी अफसरों के साथ पीएसओ के तौर पर तैनात होने वाले कर्मी अपनी सहनशक्ति खो रहे हैं। नौ माह की बात करें तो प्रदेश पुलिस के चार पुलिस कर्मियों ने आठ लोगों की हत्या कर दी है। पुलिस कर्मी वर्दी का रौब दिखाकर या फिर इसकी आढ़ में गलत गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं, जोकि चिंता का सबब है।
जानकारी के अनुसार इस साल अब तक चार हत्याकांड को पुलिसकर्मियों ने अंजाम दिया है। सबसे अहम बात यह है कि इस साल के सबसे बड़े हत्याकांड ही पुलिसकर्मियों ने किए हैं। पुलिसकर्मी अपने अधिकारिक हथियारों का गलत इस्तेमाल करके वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। नौ माह में जम्मू में तीन और कठुआ में एक हत्याकांड को पुलिसकर्मियों ने अंजाम दिया है।
इन वातदात को दिया अंजाम
9 मार्च: फलाएं मंडाल में पुलिस कर्मी राजेंद्र कुमार ने अपनी ससुराल में पत्नी, सास और ससुर की हत्या की।
11 अगस्त: कठुआ जिला पुलिस लाइन में एक पुलिस कांस्टेबल की अन्य कर्मी ने एके-47 से गोली मारकर हत्या कर दी।
इन वातदात को दिया अंजाम
21 अगस्त: जम्मू के संजय नगर में पुलिस कांस्टेबल पोपिंदर सिंह ने तेजधार हथियारों से अपनी बेटी की ससुराल में दामाद और उसकी मां की हत्या की थी।
5 अक्तूबर: अरनिया के चक हरनी में पुलिस कांस्टेबल ने विवाद में दो युवकों की हत्या की। इसमें एके-47 राइफल का इस्तेमाल किया गया।
खाकी की आड़ में पुलिस कर्मी कुछ अन्य अपराधों में भी शामिल हो रहे हैं। इसमें नशा तस्करी से लेकर आतंकियों का साथ देना तक शामिल है। जम्मू के फलाएं मंडाल में ड्रोन से हथियार भेजने के मामले में और कठुआ में एक पुलिस कर्मी हेरोइन बेचता हुआ पकड़ा गया।
इसके पहले भी कई बार पुलिस कर्मी हेरोइन और अन्य नशा तस्करी में संलिप्त मिले हैं।