Breaking News

असंगठित मजदूरों के रजिस्ट्रेशन को लेकर सरकार के उदासीन रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने की खिंचाई

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए असंगठित या प्रवासी कामगारों के पंजीकरण के लिए एक पोर्टल विकसित करने में उदासीन रवैया अपनाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की

नई दिल्ली। 

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए असंगठित या प्रवासी कामगारों के पंजीकरण के लिए एक पोर्टल विकसित करने में उदासीन रवैया अपनाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और एम. आर. शाह की पीठ ने कहा, जब असंगठित श्रमिक पंजीकरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं और राज्यों और केंद्र की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की उदासीनता और ढुलमुल रवैया अक्षम्य (माफी के लायक नहीं) है।

पीठ ने जोर देकर कहा कि श्रमिकों के पंजीकरण के बाद ही राज्य और केंद्र उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दे पाएंगे।

शीर्ष अदालत ने कहा, इससे पहले, जब तक पंजीकरण पूरा नहीं हो जाता, तब तक सभी राज्य और केंद्र के लंबे दावे रहते हैं कि उन्होंने प्रवासी कामगारों और असंगठित श्रमिकों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया है। असंगठित श्रमिकों को कोई लाभ दिए बिना केवल कागजों पर ही रहते हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस पोर्टल को अंतिम रूप देने और लागू करने की तत्काल आवश्यकता है और असंगठित श्रमिकों की महामारी और लाभ प्राप्त करने की सख्त जरूरत को देखते हुए यह कदम उठाया जाना चाहिए।

 

पीठ ने सख्त लहजे में कहा, 21 अगस्त 2018 को निर्देश दिए जाने के बावजूद, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के इस मॉड्यूल को पूरा नहीं करने का रवैया दिखाता है कि मंत्रालय प्रवासी श्रमिकों की चिंता के प्रति सचेत नहीं है और मंत्रालय की गैर-कार्रवाई को ²ढ़ता से अस्वीकार किया जाता है।

पीठ ने श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि असंगठित श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय डेटा बेस (एनडीयूडब्ल्यू) पोर्टल को अंतिम रूप दिया जाए और पोर्टल का कार्यान्वयन 31 जुलाई या उससे पहले शुरू हो जाए। पीठ ने जोर देकर कहा कि प्रवासी श्रमिकों तक पहुंच प्रदान करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र की विभिन्न योजनाओं के लिए पंजीकरण अनिवार्य है।

शीर्ष अदालत ने केंद्र को असंगठित मजदूरों/प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के परामर्श से पोर्टल विकसित करने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों समेत सभी प्रवासी मजदूरों का पंजीकरण का काम 31 जुलाई 2021 तक पूरा करें।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कोरोनावायरस के प्रसार को देखते हुए लगाए गए लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों को हो रही समस्याओं पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है। शीर्ष अदालत ने 24 मई को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की थी। अदालत ने कोविड महामारी के दौरान देशभर में प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण की धीमी प्रक्रिया पर नाराजगी जताई थी और साथ ही लेबर रजिस्ट्रेशन स्कीम के स्टेटस के बारे में केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। इसके अलावा अदालत ने एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना लागू न करने वाले राज्यों पर भी असंतोष जताया है।

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button