हेल्थ

रात की शिफ्ट में काम से कई प्रकार के कैंसर होने का खतरा, शोध में मिले प्रमाण

,वाशिंगटन

एक नए शोध में सामने आया है कि जो व्यक्ति ज्यादातर रात की शिफ्ट में काम करते हैं, उनमें कई प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ने का जोखिम ज्यादा होता है। वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी हेल्थ साइंसेज स्पोकेन में किए गए हालिया शोध में रात की पाली में काम करने वाले श्रमिकों में कुछ प्रकार के कैंसर का जोखिम बढ़ने के प्रमाण पाए गए हैं। इस शोध के निष्कर्ष पीनियल रिसर्च जर्नल में ऑनलाइन प्रकाशित किए गए हैं।

शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने एक नियंत्रित प्रयोगशाला प्रयोग किया। इसमें रात और दिन की पाली में काम करने वाले प्रतिभागियों में बदलावों की जांच की गई। अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि रात की पाली कुछ कैंसर से संबंधित जीनों की गतिविधियों को प्रभावित करते हुए इनकी लय को बाधित करती है। इससे रात की पाली में काम करने वाले श्रमिकों में डीएनए को नुकसान होने की संभावना अधिक होती है।

अभी और शोध की जरूरत: 
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस दिशा में अभी और शोध करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शोध के दौरान इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि रात की पाली के कामगारों में कैंसर का प्रचलन अधिक है, जिसके कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर को नाइट शिफ्ट के काम को एक संभावित कार्सिनोजेनिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के जैविक विज्ञान विभाग और मानव स्वास्थ्य विभाग में प्रोफेसर शोभन गद्द्देशी ने कहा कि हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि रात की पाली का काम कैंसर के जोखिम को क्यों बढ़ाता है। इसे जानने का हम लगातार प्रयास कर रहे हैं।

कैंसर से संबंधित जीनों का अध्ययन किया
डब्ल्यूएसयू स्लीप एंड परफॉर्मेंस रिसर्च सेंटर और यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी (पीएनएनएल) के बीच साझेदारी के हिस्से के रूप में, शोभन और अन्य वैज्ञानिकों ने जैविक घड़ी की संभावित भागीदारी का अध्ययन किया।

शोध के निष्कर्षों में बताया गया कि अंतर्निहित तंत्र हमें 24-घंटे रात और दिन के चक्र पर रखता है। हालांकि मस्तिष्क में एक केंद्रीय जैविक घड़ी होती है, लेकिन शरीर में लगभग हर कोशिका की अपनी अंतर्निहित घड़ी भी होती है। इस सेलुलर घड़ी में घड़ी के जीन शामिल होते हैं जो उनकी अभिव्यक्ति में लयबद्ध होते हैं, जिसका अर्थ है कि उनकी गतिविधि का स्तर दिन या रात के समय के साथ बदलता रहता है। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि उस रात की पाली का काम इन जीनों की लयबद्धता को बाधित कर सकता है।

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