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देश और लोकतंत्र को बचाने के लिए विपक्ष एकजुट नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ी के लिए गंभीर संकट होंगे खड़े : गोपाल राय

आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने कहा कि देश और लोकतंत्र को बचाने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन जरूरी है और अगर विपक्ष अब एकजुट नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ी के लिए गंभीर संकट खड़ा हो जाएगा। राय ने ‘दिए एक साक्षात्कार में कहा कि जो दल अब भी 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ संभावित संयुक्त मोर्चे के ‘‘नेता बनने’’ (नेतृत्व करने) के बारे में सोच रहे हैं, वे स्थिति की गंभीरता को बिल्कुल भी समझ नहीं पाए हैं।

भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की आवश्यकता

‘आप’ के वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस, समान विचारधारा वाले कई दलों को भाजपा के खिलाफ एकसाथ लाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 15 अप्रैल को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी फोन किया था और 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की आवश्यकता पर जोर दिया था। खरगे ने सीबीआई (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) के आबकारी नीति मामले में ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 16 अप्रैल को पूछताछ के लिए तलब करने से एक दिन पहले फोन किया था।

देश में निरंकुश शासन स्थापित करने का अप्रत्यक्ष प्रयास

‘आप’ द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाने के सवाल पर राय ने कहा कि देश और लोकतंत्र को बचाने के लिए विपक्षी दलों का एकजुट होना जरूरी हो गया है। राय ने आरोप लगाया कि संसदीय प्रणाली को पंगु बनाने और विपक्ष के बिना एक प्रणाली स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह भारत के संविधान पर सीधा हमला और देश में निरंकुश शासन स्थापित करने का अप्रत्यक्ष प्रयास है।

निर्वाचन आयोग और यहां तक कि न्यायपालिका… 

उन्होंने कहा कि सभी संस्थानों पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है, चाहे वह प्रवर्तन निदेशालय हो, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो, निर्वाचन आयोग और यहां तक कि न्यायपालिका… जो कि सामान्य बात नहीं है। अगर ये संस्थान अपनी स्वतंत्रता खो देंगे, तो भारत वह सब खो देगा जो उसने पिछले 75 वर्षों में हासिल किया है।

आने वाली पीढ़ी के लिए गंभीर संकट 

राय ने कहा, ‘‘ कांग्रेस, आप, समाजवादी पार्टी और वाम दल वर्तमान स्थिति को देखते हुए छोटे दल हैं। 2024 के चुनाव की तुलना पारंपरिक चुनाव से नहीं की जा सकती। यह पूरी तरह से अलग स्थिति है…. यह (समान विचारधारा वाले दलों को चुनाव पूर्व गठबंधन) देश के लिए जरूरी बन गया है। मुझे लगता है कि अगर हमने अब साथ आकर इस समस्या का समाधान नहीं किया तो इससे आने वाली पीढ़ी के लिए गंभीर संकट खड़ा हो जाएगा।’’

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