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4 लाख रुपये महीना भी कम है… पीछा ही नहीं छोड़ रहीं हसीन जहां, सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद शमी से क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद शमी और पश्चिम बंगाल सरकार को हसीन जहां की याचिका पर नोटिस जारी किया है. एक महीने के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं.

 

नई दिल्ली
भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद शमी और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने यह नोटिस जारी किया है.

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, हसीन जहां ने कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कोर्ट ने शमी द्वारा दिए जाने वाले मासिक गुजारा भत्ते को बढ़ाने से इनकार कर दिया था. अब कोर्ट ने कहा जो गुजारा भत्ता दिया जा रहा है वह पर्याप्त लग रहा है, फिर भी हम आपके कहने पर जवाब मांगते हैं.
हर महीने चार लाख रुपये देते हैं शमी
जुलाई 2025 में कोलकाता हाईकोर्ट ने शमी को आदेश दिया था कि पत्नी हसीन जहां और बेटी को हर महीने चार लाख रुपये गुजारा भत्ता दिया जाए, जिसमें बेटी के लिए 2.5 लाख और पत्नी के लिए 1.5 लाख रुपये खर्च शामिल था.
10 लाख रुपये की थी हसीन जहां की डिमांड
2018 में हसीन जहां ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए शमी से 10 लाख रुपये मासिक भत्ते की मांग की थी, जिसमें सात लाख रुपये अपने लिए और बेटी की पढ़ाई के लिए तीन लाख रुपये की डिमांड थी. मगर अलीपुर कोर्ट ने अगस्त 2018 में शमी को बेटी के लिए 80 हजार और हसीन जहां के लिए 50 हजार प्रतिमाह देने का आदेश सुनाया था.
कोलकाता हाईकोर्ट में चैलेंज किया था फैसला
अलीपुर कोर्ट के फैसले को हसीन जहां ने कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी. हसीन ने साल 2021 की इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) को आधार बनाते हुए कहा था कि शमी की प्रतिमाह कमाई 60 लाख रुपये की कमाई है जबकि उनका (हसीन जहां) खर्च छह लाख रुपये से ज्यादा है.
अब भी तलाक नहीं हुआ
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो मोहम्मद शमी और हसीन जहां का अब भी तलाक नहीं हुआ है. मामला अदालत में लंबित है. शमी टीम इंडिया से भी बाहर चल रहे हैं. उनके करियर पर तलवार लटकी हुई है. रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन के बावजूद चीफ सिलेक्टक अजीत अगरकर और हेड कोच गौतम गंभीर उन्हें अपनी योजनाओं से बाहर कर चुके हैं.

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