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भारत के लोकतंत्र को जिंदा रखने का काम विपक्ष ही कर रहा है तब ही लोकतंत्र में नए नारे की धूम !

वोट चोर गद्दी छोड़ ये नारा इस समय पूरे बिहार में धूम मचा चुका है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ महागठबंधन के सारे दलों की वोटर अधिकार यात्रा को इस समय बिहार में भारी समर्थन मिल रहा है

वोट चोर गद्दी छोड़ ये नारा इस समय पूरे बिहार में धूम मचा चुका है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ महागठबंधन के सारे दलों की वोटर अधिकार यात्रा को इस समय बिहार में भारी समर्थन मिल रहा है। यात्राएं हमेशा ही नयी मंजिल पर ले जाती हैं, फिर चाहे वह राजनैतिक यात्रा ही क्यों न हो। पाठक जानते हैं कि राहुल गांधी ने इससे पहले भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा की है और अब एक तरह से दिन और दूरी के हिसाब से ये उनकी तीसरी बड़ी यात्रा है। पिछले साल जब हरियाणा में चुनाव हुए थे, तब भी राहुल गांधी ने संक्षिप्त यात्रा निकाली थी, हालांकि उसका कोई लाभ नहीं मिला। हरियाणा में कांग्रेस को हार मिली, महाराष्ट्र में भी महाविकास अघाड़ी महायुति के सामने हार गई। कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष का आरोप है कि इन चुनावों में चोरी हुई है। लगभग साल भर से यही आरोप लग रहे हैं, लेकिन भाजपा ने इन पर इंकार करते हुए उल्टा विपक्ष पर ही सवाल उठाए। लेकिन विपक्ष के इरादे इन सवालों से बदले नहीं और अब बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव दोनों ने ऐलान कर दिया है कि चाहे जो हो जाए, हम वोट चोरी होने नहीं देंगे।

 

इस वोट चोरी के इल्जाम के पीछे मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण है, जिसमें भाजपा के साथ-साथ चुनाव आयोग भी मतदाता सूची शुद्धिकरण कह रहा है। लेकिन किसी कवायद में संस्कृतनिष्ठ शब्द जोड़ देने मात्र से वह सही नहीं हो सकती। कोई भी बात तभी सही होती है, जब उसे करने के पुख्ता आधार हों। साध्य और साधन दोनों की पवित्रता की जो बात महात्मा गांधी कहते थे, चुनाव आयोग को उसे समझने की जरूरत है। विपक्ष ने कई बार सवाल उठाए कि 65 लाख लोगों के नाम काटे गए और एक भी नया नाम जोड़ा नहीं गया, ये कैसा शुद्धिकरण या गहन पुनरीक्षण है। रविवार को अररिया की एक प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने यह भी पूछा कि जब विपक्ष को 65 लाख लोगों के नाम काटे जाने में कुछ गड़बड़ दिख रही है, और वो सवाल कर रहा है, तो भाजपा को इसमें कुछ अटपटा क्यों नही लग रहा। क्यों उसने चुनाव आयोग से कोई सवाल नहीं किए। इसी तरह कर्नाटक की महादेवपुरा सीट पर 1 लाख फर्जी वोटों के सबूत जब राहुल गांधी दिखा रहे थे, तो उसी वक्त चुनाव आयोग से उन्हें शपथपत्र पर हस्ताक्षर करने कहा गया। जबकि राहुल गांधी के बाद भाजपा से अनुराग ठाकुर ने वैसे ही फर्जी मतदाताओं की बात कांग्रेस द्वारा जीती गई सीटों पर कही तो चुनाव आयोग ने आज तक उनसे शपथपत्र नहीं मांगा। गौरतलब है कि पिछले रविवार को ही एक प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्य चुनाव आयुक्त ने राहुल गांधी के लिए एक हफ्ते का अल्टीमेटम भी दिया था कि या तो वे माफी मांगे या शपथ पत्र दें, वर्ना ये सबूत बेकार माने जाएंगे। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक ऐसी कोई सूचना नहीं आई है कि इस अल्टीमेटम की याद चुनाव आयोग ने दिलाई हो। बल्कि राहुल गांधी ने फिर से एक प्रेस कांफ्रेंस कर चुनाव आयोग और भाजपा अपने आरोप दोहराए हैं, अपनी चेतावनी याद दिलाई है कि हम किसी को छोड़ेंगे नहीं, बिहार में वोट चोरी नहीं होने देंगे।

एक वक्त था जब सिंहासन खाली करो कि जनता आती है, यह पंक्ति लोकतंत्र के जीवित होने का प्रमाण बन गई थी। अब वोट चोर गद्दी छोड़ का नारा हांफते-थकते लोकतंत्र में नयी जान भर चुका है। जिन लोगों में यह हताशा भर गई थी कि हमारे बोलने या शिकायत करने से क्या होगा, उन लोगों में राहुल-तेजस्वी जैसे नेताओं के कारण संघर्ष करने और सच के लिए लड़ने का जज्बा फिर से भर गया है। बिहार में वोटर अधिकार यात्रा में अपने आप हजारों-लाखों लोगों का हुजूम उमड़ रहा है। चाहे बारिश हो, बिजली चली जाए, कच्चे रास्ते हों या कोई और रुकावट, लोग बिना किसी परवाह के आगे बढ़ रहे हैं। राहुल गांधी का कहना है कि इस यात्रा में कई बच्चे उनके पास आकर वोट चोर गद्दी छोड़ के नारे लगा रहे हैं। उनके मुताबिक बिहार का बच्चा-बच्चा अब राजनैतिक तौर पर जागरुक हो चुका है। यह असल मायने में जीत है।

 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि -सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए।’ आज इस देश को, भारत के लोकतंत्र को जिंदा रखने का काम विपक्ष ही कर रहा है, जबकि खुद वाजपेयी की पार्टी भाजपा ऐसे फैसले ले रही है, जिनमें किसी न किसी तरह लोकतंत्र को कुचलने की बदनीयत दिखती है। जिस एसआईआर पर भाजपा चुनाव आयोग के सामने ढाल की तरह खड़ी हो जाती है, अब उस पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश भी बताते हैं कि इसमें कुछ न कुछ खोट है, जिसे सुधारने की जरूरत है।

शुक्रवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह एसआईआर प्रक्रिया में 11 दस्तावेजों के साथ आधार कार्ड को भी स्वीकार करें और इस पूरी प्रक्रिया को मतदाताओं के अनुकूल बनाए। यानी जिस बात पर विपक्ष शुरु से सवाल उठा रहा था कि आधार कार्ड को दस्तावेज की लिस्ट में शामिल क्यों नहीं किया गया है, जबकि यह लगभग हरेक के पास होता है, उस सवाल पर आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने ही जवाब दे दिया है। हालांकि चुनाव आयोग की पूरी कोशिश थी कि भाजपा के घुसपैठिए वाले एजेंडे को एसआईआर के जरिए आगे बढ़ाए, लेकिन शुक्रवार को इस मुहिम में भाजपा को झटका लग गया है। इसलिए जयराम रमेश ने कहा है कि ‘लोकतंत्र भारतीय निर्वाचन आयोग के क्रूर हमले से बच गया है।’

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