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CIA एजेंट का बेटा… यूक्रेन के खिलाफ रूस के लिए जंग लड़ रहा था अमेरिकी, ट्रंप के दूत को पुतिन ने सौंप दी निशानी, फिर

रूस और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक घटना में पुतिन ने अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ को ‘ऑर्डर ऑफ लेनिन’ सम्मान सौंपा, जो CIA अधिकारी जूलियाने गालिना के लिए था. उनके बेटे माइकल ग्लॉस की यूक्रेन में मौत हुई थी.

 

मॉस्को
 रूस और यूक्रेन के बीच एक अनोखी कूटनीतिक घटना देखने को मिली है. दरअसल हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ रूस पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के दौरान पुतिन ने अमेरिकी दूत को ‘ऑर्डर ऑफ लेनिन’ सम्मान सौंपा. सोवियत समय का यह प्रतिष्ठित सम्मान विटकॉफ के लिए नहीं बल्कि CIA की एक बड़ी अधिकारी के लिए भेजा गया है. इस अधिकारी का नाम जूलियाने गालिना है, जो CIA की डिप्टी डायरेक्टर फॉर डिजिटल इनोवेशन हैं. उनके 21 साल के बेटे माइकल ग्लॉस की पिछले साल यूक्रेन में जान चली गई थी. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब यह पक्का हो गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन 15 अगस्त को अलास्का में यूक्रेन युद्ध के भविष्य पर बात करेंगे. 

रिपोर्ट्स के मुताबिक माइकल ग्लॉस 2023 की शरद ऋतु में रूसी बल में भर्ती हुआ था. उसने मॉस्को के रेड स्क्वायर से अपनी फोटो भी सोशल मीडिया पर शेयर की थी. उसे रूस के समर्थन में बयान भी दिया था. उसने यूक्रेन युद्ध को ‘प्रॉक्सी वॉर’ कहा और पश्चिमी मीडिया की रिपोर्ट्स के प्रोपेगेंडा बताया. अप्रैल 2024 में उसके मौत की सबसे पहले रूसी मीडियामें खबर आई. बाद में CIA ने कहा कि ग्लॉस मानसिक समस्याओं से जूझ रहे थे. उनका मारा जाना राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला नहीं था.

अवार्ड का क्या हुआ?

क्रेमलिन या रूस के विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि नहीं की है. माइकल के परिवार से जुड़े लोगों ने CBS न्यूज को बताया कि पहले रूस को यह नहीं पता था कि माइकल की मां CIA की एक अधिकारी है. माइकल के पिता इराक में अमेरिकी सेना की ओर से तैनात किए जा चुके हैं. वाशिंगटन पोस्ट को उन्होंने कहा, ‘हमें डर था कि मॉस्कों से कोई उसकी मां की पहचान पता कर लेगा और उसका इस्तेमाल प्रोपेगेंडा के लिए करेगा.’ पुतिन की ओर से दिए गए अवार्ड का क्या किया गया इसके बारे में विटकॉफ या व्हाइट हाउस ने कोई टिप्पणी नहीं की है.
ऑर्डर ऑफ लेनिन सोवियत संघ का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित सम्मान था. 1930 में इसे शुरू किया गया था और लेनिन के नाम पर रखा गया था. यह अवार्ड देश के लिए असाधारण सेवा, युद्ध में बहादुरी, या विज्ञान, कला, उद्योग और कृषि में बड़ी उपलब्धियों के लिए व्यक्तियों, संगठनों और यहां तक कि शहरों को भी दिया जाता था. इस पर लेनिन की फोटो होती थी. इसे गोल्डेन और लाल रंग में बनाया जाता था. 1991 में सोवियत संघ के टूटने के साथ यह सम्मान देना बंद हो गया. आज के सयम इसे देना राजनीतिक या प्रतीकात्मक संदेश माना जा सकता है, क्योंकि यह अब आधिकारिक राज्य सम्मान नहीं है.

 

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