दिल्ली

CJI Salary: भारत के चीफ जस्टिस को मिलती है इतनी सैलरी, सरकारी सुविधाएं जानकर रह जाएंगे दंग!

CJI Salary: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) देश की न्यायपालिका के सबसे ऊंचे पद पर होते हैं. उन्हें ₹2.80 लाख मासिक वेतन के साथ कई सरकारी सुविधाएं मिलती हैं, जैसे फ्री सरकारी आवास, सुरक्षा, वाहन, यात्रा भत्ता और पेंशन. यह सम्मानजनक वेतन और सुविधाएं उनके दायित्वों की गंभीरता को दर्शाते हैं.

 

CJI Salary : भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पद की शपथ ली. भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India- CJI) देश की न्यायिक प्रणाली के सबसे बड़े पद पर होते हैं. ये सुप्रीम कोर्ट के मुखिया होते हैं. इतने महत्वपूर्ण पद पर होने के कारण इन्हें न केवल अच्छा वेतन मिलता है बल्कि कई सरकारी सुविधाएं भी दी जाती हैं. आइए जानते हैं CJI को कितनी सैलरी (CJI Salary) मिलती है और कौन-कौन से भत्ते दिए जाते हैं.

 

CJI को कितनी सैलरी मिलती है? (CJI Salary in Hindi)

भारत सरकार द्वारा तय नियमों के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश को हर महीने 2.80 लाख (2 लाख 80 हजार रुपये) सैलरी मिलती है. यह वेतन “सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट जज वेतन अधिनियम” के तहत दिया जाता है. इसमें सिर्फ बेसिक सैलरी शामिल है जबकि बाकी सुविधाएं अलग से मिलती हैं जो उनकी कुल आय को और भी बेहतर बनाती हैं.

 

कौन-कौन सी सुविधाएं मिलती हैं? (CJI Salary in Hindi)

मुख्य न्यायाधीश को कई सरकारी लाभ मिलते हैं जिनकी लिस्ट इस प्रकार है:

  • दिल्ली में मुफ्त सरकारी आवास
  • निजी सहायक, ड्राइवर और सुरक्षाकर्मी
  • बिजली-पानी मुफ्त या बहुत कम दरों पर
  • फ्री मोबाइल और लैंडलाइन फोन
  • सरकारी खर्च पर देश-विदेश की यात्रा
  • फ्री मेडिकल सुविधा
  • सेवा के बाद पेंशन और सुरक्षा लाभ.

CJI बी.आर. गवई के बारे में (CJI BR Gavai in Hindi)

CJI जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नागपुर से प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से विधि की पढ़ाई पूरी की. अपने कानून करियर की शुरुआत संविधान और प्रशासनिक कानून (Constitutional Law & Administrative Law) में विशेषज्ञता के साथ की. वे नागपुर महानगरपालिका, अमरावती महानगरपालिका और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी अधिवक्ता (Standing Counsel) के रूप में नियुक्त किए गए थे. इसके अलावा उन्होंने सायकॉम (SICOM), डीसीवीएल (DCVL) जैसी विभिन्न स्वायत्त संस्थाओं और निगमों के साथ-साथ विदर्भ क्षेत्र की कई नगरपालिका परिषदों का भी नियमित रूप से प्रतिनिधित्व किया.

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