Kerala: ‘यह संघीय प्रणाली और लोकतंत्र के खिलाफ’, विधानसभा में यूजीसी दिशा-निर्देश 2025 के खिलाफ प्रस्ताव पारित

विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार ने तथ्यों की अनदेखी करके और सभी हितधारकों से चर्चा किए बिना दिशा-निर्देश मसौदा जारी किया है। नए मसौदे में कुलपतियों की नियुक्ति समेत कई मुद्दों पर राज्य सरकारों की राय की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है।
तिरुवनंतपुरम
केरल विधानसभा ने मंगलवार को एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। इस प्रस्ताव में केरल सरकार ने केंद्र सरकार से यूजीसी के दिशा-निर्देश 2025 के मसौदे को वापस लेने और उनमें बदलाव करने की मांग की है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने यह प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव में कहा गया कि विधानसभा का साफ मानना है कि यूजीसी का मसौदा संविधान की भावना को प्रतिबिंबित नहीं करता है।
जनवरी में केंद्र सरकार ने जारी किए हैं नए दिशा-निर्देश
गौरतलब है कि जनवरी के पहले हफ्ते में केंद्र सरकार ने यूजीसी दिशा-निर्देश 2025 का मसौदा जारी किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस मसौदे का उद्देश्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति को अधिक लचीला बनाना है। हालांकि केरल सरकार द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। पिछले हफ्ते ही केरल के सीएम पी विजयन ने इस मसौदे की आलोचना करते हुए कहा था कि वे इसके विरोध के लिए देशभर में गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों को एकजुट करेंगे।
क्या है प्रस्ताव में
मुख्यमंत्री पी विजयन ने कहा कि विभिन्न राज्यों में विश्वविद्यालय, राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित कानूनों के अनुसार काम करते हैं और राज्यों के पास ही विश्वविद्यालयों की स्थापना और पर्यवेक्षण करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास केवल उच्च शिक्षा और शोध संस्थानों के लिए समन्वय और मानक तय करने का अधिकार है। विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार ने इन तथ्यों की अनदेखी करके और सभी हितधारकों से चर्चा किए बिना दिशा-निर्देश मसौदा जारी किया है। नए मसौदे में कुलपतियों की नियुक्ति समेत कई मुद्दों पर राज्य सरकारों की राय की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है। सीएम ने कहा कि यह संघीय प्रणाली और लोकतंत्र के खिलाफ है।
केरल के मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि नए दिशा-निर्देशों के तहत अकादमिक विशेषज्ञों पर विचार किए बिना निजी क्षेत्र से भी लोगों को कुलपति नियुक्त किया जा सकता है। सीएम ने आरोप लगाया कि यह उच्च शिक्षा क्षेत्र का व्यवसायीकरण करने की चाल है। विजयन ने आरोप लगाया कि 2025 के यूजीसी मानदंडों के मसौदे को उच्च शिक्षा क्षेत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों को नष्ट करने और इसे धार्मिक और सांप्रदायिक ताकतों के नियंत्रण में देने की कोशिश की जा रही है। विजयन ने प्रस्ताव में कहा, ‘यह सदन सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के 2025 के यूजीसी मानदंडों के मसौदे को तुरंत वापस लेने, राज्य सरकारों और अकादमिक विशेषज्ञों की राय और चिंताओं पर विचार करने और सभी हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा करने और उनकी राय को गंभीरता से लेने के बाद ही नए मानदंड जारी करने का अनुरोध करता है।’