सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कराने के लिए उच्च सदन में कम से कम 50 सांसदों की ओर से सदन के पीठासीन अधिकारी के सामने नोटिस के रूप में अनुरोध प्रस्तुत किया जाता है।
नई दिल्ली
राज्यसभा में विपक्ष की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने की तैयारी की जा रही है, लेकिन महाभियोग शुरू करने की प्रक्रिया लंबी है और अब तक के इतिहास में जजों के खिलाफ महाभियोग लाने का कोई भी प्रयास पूरा नहीं हो सका है।
यह है महाभियोग की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कराने के लिए उच्च सदन में कम से कम 50 सांसदों की ओर से सदन के पीठासीन अधिकारी के सामने नोटिस के रूप में अनुरोध प्रस्तुत किया जाता है। नोटिस स्वीकार करने के बाद जज पर लगाए गए आरोपों की जांच के संदर्भ में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने के लिए तीन सदस्यी समिति गठित की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ शिकायत के मामले में गठित समिति में सुप्रीम कोर्ट के दो मौजूदा न्यायाधीश और एक न्यायविद, जबकि हाईकोर्ट के जज के मामले में गठित कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ एक न्यायविद को शामिल किया जाता है। महाभियोग प्रस्ताव को पारित कराने के लिए संबंधित सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों की कम से कम दो तिहाई सदस्यों का प्रस्ताव के पक्ष में समर्थन जरूरी है। ब्यूरो
विपक्ष के पास बहुमत का अभाव
वर्तमान में उच्च सदन में विपक्ष के 100 सांसद हैं। 245 सदस्यों वाले उच्च सदन में महाभियोग प्रस्ताव पारित कराने के लिए 163 सदस्यों का समर्थन जरूरी है। ऐसे में अगर सत्ता पक्ष ने प्रस्ताव से दूरी बनाई तो इसका गिरना तय है। हालांकि विपक्षी दलों का कहना है कि इसके सहारे उसकी योजना जस्टिस यादव की खतरनाक टिप्पणियों पर देश का ध्यान आकृष्ट करना है।
अब तक महाभियोग के चार प्रयास
संसद के दोनों सदनों में जजों के खिलाफ अब तक महाभियोग के चार प्रस्ताव लाने के प्रयास किए गए हैं। इनमें से कोई भी प्रस्ताव प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाया। नब्बे के दशक में सुप्रीम कोर्ट के जज वी रामास्वामी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में महाभियोग लाया गया था, मगर यह प्रस्ताव लोकसभा में गिर गया। साल 2011 में ऐसे ही मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के जज सौमित्र सेन के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया, हालांकि प्रक्रिया शुरू होने से पहले सेन ने इस्तीफा दे दिया।
सिक्किम हाईकोर्ट के जज पीडी दिनाकरन ने भी राज्यसभा में प्रक्रिया शुरू होने से पहले इस्तीफा दिया था। अंतिम प्रयास सुप्रीम कोर्ट के जज दीपक मिश्रा के संदर्भ में था। हालांकि साल 2018 में राज्यसभा के सभापति ने इससे जुड़े नोटिस को खारिज कर दिया था।
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