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प्रियंका गांधी ने वायनाड सीट पर तोड़ा भाई राहुल गांधी का रिकॉर्ड, पहले चुनाव में बंपर जीत से खोला खाता

कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने पहले ही चुनाव में बंपर जीत हासिल करके वायनाड में अपने भाई राहुल गांधी के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. प्रियंका गांधी ने करीब 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है.

 

 

वायनाड उपचुनाव में करीब 4 लाख वोटों की बढ़त के साथ प्रियंका गांधी ने अपने भाई राहुल गांधी की जीत के अंतर को पीछे छोड़ दिया है. 2024 के लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी ने 3,64,422 के अंतर से जीत हासिल की थी. राहुल गांधी को तब 6,47,445 वोट हासिल करके भारी जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपने चुनावी पदार्पण में अपने भाई राहुल गांधी से बहुत आगे निकल गई हैं. उन्होंने केरल के वायनाड उपचुनाव में 4 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की. इसके बाद प्रियंका गांधी ने वायनाड की जनता को इस जीत पर बधाई दी.

प्रियंका गांधी ने एक्स पर कहा कि ‘आपने मुझ पर जो भरोसा जताया है, उसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं. मैं यह सुनिश्चित करूंगी कि समय के साथ, आपको वास्तव में यह महसूस हो कि यह जीत आपकी जीत है और जिस शख्स को आपने अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना है, वह आपकी उम्मीदों और सपनों को समझता है और आपके लिए लड़ता है. मैं संसद में आपकी आवाज बनने के लिए उत्सुक हूं.’

वायनाड सीट राहुल गांधी के छोड़ने के बाद खाली हुई थी. इसके बाद प्रियंका गांधी वाड्रा के मैदान में उतरने के बाद पूरे देश का ध्यान इसने अपनी ओर खींचा. स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने भविष्यवाणी की थी कि वाड्रा को डाले गए 9.52 लाख वोटों में से लगभग छह लाख वोट मिल सकते हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने एक्स पर कहा कि ‘केरल के वायनाड में उपचुनाव में हमारी नेता प्रियंकागांधी जी को शुरुआती बढ़त मिलना मतगणना के दिन एक आश्चर्यजनक पहला रुझान है. वायनाड के लोग आज निश्चित रूप से बड़ी जीत का अंतर दर्ज करने जा रहे हैं, और प्रियंका जी शानदार जीत के साथ संसदीय शुरुआत करेंगी.’

 

इससे पहले दिन में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के एक कांग्रेस सहयोगी ने भविष्यवाणी की थी कि प्रियंका गांधी लोकसभा उपचुनाव में अपने भाई राहुल गांधी के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देंगी. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद वायनाड में उपचुनाव की जरूरत पड़ी. जिन्होंने इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट जीतने के बाद यह सीट खाली कर दी थी.

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