आषाढ़ पूर्णिमा पर सुबह-शाम में इस विधि से करें पूजा, सूर्य-चंद्रमा, मां लक्ष्मी धन-धान्य से भर देंगी घर
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि पंचांग के अनुसार 21 जुलाई को आसाढ़ पूर्णिमा मनाई जाएगी. इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन खास विधि से पूजा करने पर सभी मनोकामना पूर्ण होती है.
देवघर:
हिंदू धर्म मे आषाढ़ पूर्णिमा का बेहद खास महत्व है. इस पूर्णिमा पर व्रत रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने और चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आषाढ़ पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं, इसलिए इस दिन अपने गुरुओं की पूजा अवश्य करनी चाहिए, इससे सकरात्मक प्रभाव पड़ता है. आषाढ़ पूर्णिमा के बाद से ही सावन महीने की शुरुआत हो जाती है. वहीं, किसी भी पूजा में मंत्र का बेहद खास महत्व होता है. मंत्र के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि पंचांग के अनुसार 21 जुलाई को आसाढ़ पूर्णिमा मनाई जाएगी. इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से जातक के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं. पुण्य-फल की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए. इस पूर्णिमा में चंद्र देवता की भी पूजा करनी चाहिए और उनको अर्घ्य देना चाहिए. इससे सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.ं
ऐसे करें पूर्णिमा की पूजा
पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान कर पूजा आराधना करनी चाहिए, नहीं तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. सुबह भगवान सूर्य को जल अर्घ्य प्रदान करें. इसके बाद माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा पंचोपचार विधि से करें. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को तुलसी, पीला चंदन और हल्दी अवश्य अर्पण करें. वहीं, किसी भी पूजा में मंत्र का महत्व बहुत ज्यादा होता है. इस दिन ‘ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः’ के मंत्र का 108 बार जाप अवश्य करें. शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें. इस विधि से पूर्णिमा के दिन पूजा करते हैं तो जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहेगी और सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. वहीं इस दिन गुरु की पूजा की भी परंपरा है, इसलिए अपने-अपने गुरुओं की पूजा अवश्य करें और दान दें.
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