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नए आपराधिक क़ानून को लेकर कांग्रेस ने उठाए कई गंभीर सवाल

एक जुलाई 2024 से देश में तीन नए आपराधिक क़ानून लागू हो गए हैं. 17वीं लोकसभा के शीतकालीन सत्र में ये तीनों क़ानून पास किए गए थे. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस शुरुआत से ही इन क़ानूनों का विरोध कर रही है.

सोमवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट कर इन क़ानूनों की और सरकार के रवैये की निंदा की है.

खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर ट्वीट किया, “चुनाव में राजनीतिक और नैतिक झटके के बाद मोदी जी और भाजपा वाले संविधान का आदर करने का ख़ूब दिखावा कर रहें हैं, पर सच तो ये है कि आज से जो तीन क़ानून लागू हो रहे हैं, वो 146 सांसदों को सस्पेंड कर जबरन पारित किए गए. ‘इंडिया’ अब ये “बुल्डोज़र न्याय” संसदीय प्रणाली पर नहीं चलने देगा.”

कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भी नए आपराधिक क़ानूनों के लागू होने पर आपत्ति दर्ज़ की है. मनीष तिवारी ने इन कानूनों पर फिर से विचार करने की बात कही है.

मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, “नए आपराधिक क़ानून एक जुलाई से लागू हो गए – जो भारत को एक पुलिस स्टेट में बदलने का आधार रखता है. इन्हें लागू होने से रोका जाना चाहिए और संसद को फिर से इनकी जांच करनी चाहिए.”

सोमवार से लागू हुए नए आपराधिक कानून भारतीय आपराधिक न्यायिक प्रणाली में बड़े बदलाव लाएंगे. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में मौजूदा वक्त के कई सामाजिक कुरीतियों और कई अपराधों को भी शामिल किया गया है.

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