क्राइम

साइबर ठग ने KYC अपडेट के बहाने उड़ाए थे 82,500 रुपए, फिर जो हुआ नहीं होगा यकीन

आगरा से साइबर ठगी का नया मामला सामने आया है. यहां साइबर ठग पेटीएम कर्मचारी बन आया और उसने नमकीन का ठेला चलाने वाले एक व्‍यक्ति से KYC अपडेट कराने को कहा. भोले भाले व्‍यक्ति ने उसे ओटीपी बता दिया जिससे उसके साथ 82,500 रुपए की ठगी हो गई थी.

आगरा.

आगरा में साइबर ठगी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. नए मामले में साइबर ठग ने ठेले पर नमकीन बेचने वाले को अपना शिकार बनाया और उसके खाते से 82,500 रुपए निकाल लिए. इधर, नमकीन बेचने वाला जब बैंक पहुंचा तो उसे साइबर ठगी की जानकारी हुई. उसने तुरंत पुलिस को सूचना दे दी. उसने पुलिस को बताया कि वह गांधी चौराहे पर नमकीन का ठेला लगाता है और उससे KYC अपडेट के बहाने ठगी की गई है. इसके बाद पुलिस ने जांच के लिए कई टीमों का गठन किया और 24 घंटों के भीतर ही साइबर ठग को अरेस्‍ट कर लिया और उससे रकम बरामद कर ली है.

इंस्पेक्टर शमशाबाद वीरेश पाल गिरी ने बताया कि धमेना रोड पर संतोष नाम का युवक गांधी चौराहे पर नमकीन का ठेला लगाता है. संतोष ने पुलिस को दी तहरीर के माध्यम से बताया था कि ललित नाम का युवक पेटीएम कर्मचारी बनकर उसके पास आया था. उसने पेटीएम खाते की केवाईसी अपडेट कराने के लिए कहा था. इसके लिए मोबाइल से ओटीपी मांगा था. संतोष ने उसको ओटीपी बता दिया था; उसे यह भरोसा था कि यह ओटीपी जानकारी अपडेट करने के लिए पूछा गया है. इसके बाद युवक ने सतीश की पत्नी से एक मशीन पर अंगूठा लगवाया था, इतना करने के बाद ललित वहां से चला गया था.

ठग ने खाते से एक साथ 82,500 रुपए निकाले
संतोष ने बताया कि बैंक में खाता उसकी पत्नी के नाम पर था. संतोष ने कहा कि केवाईसी अपडेट और अन्‍य जानकारी के लिए वह बैंक पहुंच गया तो पता चला कि उसके खाते से एक साथ 82,500 रुपए निकाल लिए गए हैं. ऐसा पहली बार था कि इतनी बड़ी रकम ऑनलाइन ट्रांसफर हुई थी. नमकीन का ठेला चलाने वाला संतोष यह सुनते ही घबरा गया. उसने फौरन पुलिस की सहायता ली और तुरंत शिकायत दर्ज करा दी. पुलिस अफसरों ने उससे पूरी जानकारी ली और इलाके के सीसीटीवी खंगाले.

सीसीटीवी फुटेज से मिला अहम सुराग
इंस्पेक्टर शमशाबाद वीरेश पाल गिरी ने कहा कि पहले तो यह मामला ब्‍लाइंड लग रहा था, ऐसे मामले में छानबीन कठिन होती है. लेकिन जब सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए तो ललि‍त उसमें नजर आ गया था. दूसरी सबसे अहम बात थी कि ललित एक गाड़ी से मौके पर पहुंचा था और यहां से उस गाड़ी का नंबर और मालिक का पता चल गया और ऐसे करते हुए पुलिस ने ललित को 24 घंटों के अंदर ही अरेस्‍ट कर लिया. पुलिस को अपने सामने देखते ही ललित ने अपना अपराध कबूल कर लिया और ठगी की सारी रकम पुलिस के हवाले कर दी.

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