राजनीतिक जानकार बताते हैं कि मौजूदा परिस्थितियों में भाजपा, केजरीवाल को हटाने का जोखिम नहीं लेगी। वजह, इससे केजरीवाल को बड़ा राजनीतिक फायदा मिल सकता है। अगर आम आदमी पार्टी, देशभर में केजरीवाल का मैसेज पहुंचाने में कामयाब रही, तो लोकसभा चुनाव में ‘आप’ को जनता की सहानुभूति मिल जाएगी। भाजपा, इस बात को समझ रही है, इसलिए वह अदालत से ही ऐसी उम्मीद लगाए बैठी है कि देर सवेर यह फैसला आ सकता है कि जेल से सरकार चलाना मुश्किल है। ऐसे में केजरीवाल पर मुख्यमंत्री का पद छोड़ने का दबाव बनाया जा सकता है।
आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि केजरीवाल को जेल में डालना, यह मुद्दा भाजपा पर भारी पड़ेगा। उसे लोकसभा चुनाव में इसकी कीमत चुकानी होगी। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि लोगों में इस बात पर गुस्सा है कि राजनीतिक कारणों से केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है। खुद केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने भी दावा किया है कि ईडी ने कथित शराब नीति मामले में कई जगहों पर छापेमारी की है। इन छापों में एक भी पैसे की बरामदगी नहीं हुई। ईडी ने आप नेताओं मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन के परिसरों पर छापा मारा। यहां पर भी कोई धनराशि नहीं मिली। मुख्यमंत्री के आवास पर छापा मारा गया, लेकिन यहां पर उन्हें 73,000 रुपये ही मिले। सुनीता केजरीवाल ने सवाल किया कि ‘सो कॉल्ड शराब घोटाले’ का पैसा कहां है।
दिल्ली में चार मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुके पूर्व विधानसभा सचिव एवं संविधान विशेषज्ञ एसके शर्मा बताते हैं, इस मामले में संविधान मौन है। जेल से सरकार नहीं चला करती। संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि सरकार का मुखिया जेल में चला जाए और वहीं से सरकार चलती रहे। देश में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। ऐसे कई कामकाज होते हैं, जिनके लिए मुख्यमंत्री की उपस्थिति अनिवार्य होती है। अगर मौजूदा स्थिति में केजरीवाल, मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ते हैं, तो सरकार के पास उन्हें डिसमिस करने का ही विकल्प बचता है। यह सारी प्रक्रिया केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा पूरी की जाती है।
यह एक संवैधानिक संकट है। मुख्यमंत्री जेल में हैं और वह पद नहीं छोड़ रहे। बतौर शर्मा, इसमें नैतिकता का पक्ष भी रहता है, लेकिन उसकी परवाह कोई नहीं कर रहा। मुख्यमंत्री केजरीवाल की तरफ से उनके मंत्री कह रहे हैं कि हमारे पास पूर्ण बहुमत है। जब बहुमत है, तो मुख्यमंत्री त्यागपत्र क्यों दें। ऐसे में एक ही रास्ता है कि कानून के मुताबिक, मुख्यमंत्री को डिसमिस कर दिया जाए। अनुच्छेद 239AA में ऐसा प्रावधान है। दिल्ली के उपराज्यपाल, राष्ट्रपति को लिखें कि मुख्यमंत्री केजरीवाल, अपना पद नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति उन्हें पद से हटा सकते हैं। पद न छोड़ने की स्थिति में अंतिम विकल्प राष्ट्रपति शासन ही बचता है।
राजनीति के जानकार रशीद किदवई कहते हैं, मौजूदा परिस्थितियों में भाजपा, केजरीवाल को हटाने का जोखिम नहीं लेगी। उसे मालूम है कि लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा बैकफायर कर सकता है। अगर केजरीवाल को हटाया जाता है, तो उन्हें लोगों को बड़ी सहानुभूति मिल सकती है। भाजपा, इस मामले में कोर्ट के ही फैसले का इंतजार करेगी। हालांकि आप और भाजपा, दोनों ही दलों के कार्यकर्ता सड़कों पर हैं।
भाजपा कार्यकर्ता, केजरीवाल को हटाने की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी ओर आप कार्यकर्ता, मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं। आप सरकार में मंत्री अतिशी कहती हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री तो अरविंद केजरीवाल ही रहेंगे। चाहे वे जेल के अंदर रहें या बाहर रहें। आप मंत्रियों ने दावा किया कि केजरीवाल उन्हें जेल से ही आदेश दे रहे हैं। ऐसे में भाजपा, केजरीवाल को हटाने का जोखिम नहीं लेगी। किदवई कहते हैं, अतीत में ऐसे कई नेता रहे हैं, जिन्हें चुनाव से पहले जेल भेजा गया, लेकिन सियासत में उन्हें बड़ी सफलता मिली। लालू प्रसाद यादव और जयललिता, इसके उदाहरण रहे हैं।