‘2010 का कानून कमजोर करने पर तुली मोदी सरकार’, स्मारक, पुरातत्व स्थल संरक्षण पर बोली कांग्रेस

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने स्मारकों, पुरातत्व स्थलों की सुरक्षा के लिए बने 2010 के कानून को ‘कमजोर’ करने की कोशिश की। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक रिपोर्ट के हवाले से केंद्र सरकार की नीति को कठघरे में खड़ा किया।
, नई दिल्ली
कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों की सुरक्षा के लिए बने कानून को कमजोर बनाने की कोशिश कर रही है। पार्टी का दावा है कि करीब 13 साल पहले, साल 2010 में बने कानून को “कमजोर” करने की कोशिश का कांग्रेस ने पुरजोर विरोध किया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश के अनुसार, कांग्रेस समेत अन्य दलों ने कानून में बदवाल के खिलाफ दृढ़ प्रतिरोध किया। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की एकजुटता के कारण ही अभी तक कानून को कमजोर होने से रोका जा सका है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म- एक्स पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा की। इसमें बिहार में केंद्र सरकार संरक्षित स्मारक के लिए विरासत उपनियमों का मसौदा है। राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) की तरफ से जारी नियम राजधानी पटना में स्थित अशोक के महल के संबंध में है। इस अनुमानित साइट का संरक्षण और आस-पास के क्षेत्रों में विकास की पहल को कांग्रेस महासचिव ने बहुत अच्छी खबर बताया।
सांस्कृतिक विरासत बचाने पर कांग्रेस के प्रयास
रमेश ने अपने पोस्ट में कहा, “मार्च 2010 में संसद की तरफ से प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष (संशोधन और मान्यता) अधिनियम पारित कराया गया। इसके तुरंत बाद राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) की स्थापना की गई।” उन्होंने कहा, ”लगातार खतरे में पड़ी हमारी सांस्कृतिक विरासत” की सुरक्षा के लिए यह बड़ा कदम था।