लौ बिल:शाह का विधेयक विरोधियों को शांत करने के लिए पुलिस को ज्यादा शक्ति:कपिल सिब्बल

, नई दिल्ली।
पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने शनिवार को आरोप लगाया कि भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को प्रतिस्थापित करना चाहता है और यह विधेयक राजनीतिक उद्देश्यों के लिए क्रूर पुलिस शक्तियों के उपयोग की अनुमति देता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ऐसे कानून लाने के पीछे सरकार का एजेंडा विरोधियों को चुप कराना है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में पेश किए गए भारतीय न्याय संहिता विधेयक- 2023, भारतीय सुरक्षा विधेयक- 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक पर विपक्ष ने विरोध जताना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने अपनी बात रखी।
पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने शनिवार को आरोप लगाया कि भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को प्रतिस्थापित करना चाहता है और यह विधेयक राजनीतिक उद्देश्यों के लिए क्रूर पुलिस शक्तियों के उपयोग की अनुमति देता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ऐसे कानून लाने के पीछे सरकार का एजेंडा विरोधियों को चुप कराना है।
आपराधिक कानूनों में आमूल-चूल बदलाव करते हुए केंद्र ने शुक्रवार को आईपीसी, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए। जिसमें अन्य बातों के अलावा, राजद्रोह कानून को खत्म करने और अपराध की व्यापक परिभाषा के साथ एक नया प्रावधान पेश करने का प्रस्ताव है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय दंड संहिता को बदलने के लिए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023; सीआरपीसी को बदलने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय सुरक्षा विधेयक विधेयक, 2023 पेश किया।