प्रयागराज के लेटे वाले हनुमान मंदिर में करें इस मंत्र का पाठ, मिलेगा लाभ, जानिए शास्त्री जी की राय

आचार्य लक्ष्मीकांत शास्त्री ने बताया कि भक्तों को सुंदरकांड का पाठ स्वयं करना चाहिए. सुंदरकांड में रामदूत पवन पुत्र हनुमान का यशोगान किया गया है . इसके पाठ से बिगड़े हुए काम बनते हैं. किसी भी प्रकार की परेशानी हो, संकट हो, सुंदरकांड के पाठ से यह समाप्त होने लगता है .
प्रयागराज
वैसे तो सुंदरकांड की प्रत्येक चौपाई का अपना एक महत्व है. लेकिन ” नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत वीरा ” चौपाई का पाठ करने से अत्यंत चमत्कारिक फायदे मिलते हैं. संगम तट पर स्थित लेटे वाले हनुमान जी के प्रांगण में प्रत्येक शनिवार और मंगलवार भक्तों की भारी भीड़ रहती है. जो इस चौपाई का घंटो पाठ करते रहते हैं. खास बात यह है कि श्रद्धालु और भक्तों को इसका लाभ भी प्राप्त हुआ है. मंदिर में प्रातः काल से ही श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है .
आचार्य लक्ष्मीकांत शास्त्री ने बताया कि भक्तों को सुंदरकांड का पाठ स्वयं करना चाहिए. सुंदरकांड में रामदूत पवन पुत्र हनुमान का यशोगान किया गया है . इसके पाठ से बिगड़े हुए काम बनते हैं. किसी भी प्रकार की परेशानी हो, संकट हो, सुंदरकांड के पाठ से यह समाप्त होने लगता है .
चौपाई का अत्यंत लाभकारी परिणाम
आगे शास्त्री ने बताया कि ” नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत वीरा ” चौपाई का अत्यंत लाभकारी परिणाम मिलता है. 101 बार इसका पाठ कर हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है. घर में गृह क्लेश दूर होता है. वैसे तो सुंदरकांड का पाठ सच्चे मन से एक ही बार करने पर लाभ मिलता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार के दिन ऐसा करने से भक्तों के घर में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.