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‘भारत में शव से संबंध बनाना अपराध नहीं’, हाईकोर्ट के फैसले के बाद छिड़ी बहस…जानिए विदेशों में क्या कानून

कर्नाटक हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि शव का यौन उत्पीड़न भारतीय दंड संहिता कर धारा 376 के तहत दंडनीय अपराध नहीं है।

नेशनल डेस्क

कर्नाटक हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि शव का यौन उत्पीड़न भारतीय दंड संहिता कर धारा 376 के तहत दंडनीय अपराध नहीं है। जस्टिस बी वीरप्पा और जस्टिस टी वेंकटेश नाइक की पीठ ने आरोपी रंगराजू वाजपेयी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद IPC की धारा 376 के तहत सजा को रद्द कर दिया । पीठ ने हालांकि हत्या के लिए उसकी सजा को बरकरार रखा और निचली अदालत की ओर से आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि की है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत ‘मृत शरीर’ शब्द को शामिल करने का भी आग्रह किया, ताकि किसी महिला के शव के साथ यौन संबंध बनाने वाले व्यक्तियों को दंडित किया जा सके।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अदालत ने कहा कि एक मृत शरीर के साथ यौन संबंध और कुछ नहीं बल्कि नेक्रोफीलिया है, जो मृत्यु और मृत लोगों के साथ एक रुग्ण आकर्षण है। आखिरकार इसे परपीड़न यानि नेक्रोफीलिया माना जा सकता है, और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत दंडित करने के लिए कोई अपराध नहीं है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार मृत महिलाओं के खिलाफ अपराध के रूप में एक अलग प्रावधान भी पेश कर सकती है, जैसा कि ब्रिटेन , कनाडा, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में किया गया है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक आरोपी वाजपेयी ने जून 2015 में तुमकुर जिले में एक 21 वर्षीय लड़की का गला रेतकर उसके शव का यौन उत्पीड़न किया था।

रेप और नेक्रोफिलिया में अंतर

हाईकोर्ट ने रेप और नेक्रोफिलिया में अंतर बताते हुए कहा कि रेप जीवित व्यक्ति के साथ हो सकता है, शव के साथ नहीं। जीवित व्यक्ति के अंदर भावना होती हैं, मृतकों में नहीं इस कारण मरे हुए व्यक्ति के साथ रेप करने को नेक्रोफिलिया कहते हैं। वहीं, हाईकोर्ट राज्य सरकार को छह महीने में शव की सुरक्षा के लिए निर्देश जारी करने के आदेश दिए हैं ताकि शव के साथ इस तरह की घटना न हो। साथ ही सरकारी और निजी अस्पतालों में शवों की देखरेख कैसे की जाए, इस पर जवाब मांगा है।

 

किस देश में नेक्रोफिलिया पर क्या कानून?

ब्रिटेन में यौन अपराध अधिनियम 2003 में नेक्रोफिलिया को धारा 70 के तहत एक अपराध के रूप में शामिल किया गया है। दोषी को छह महीने से दो साल के कारावास का प्रावधान है। इसके अलावा, कनाडा, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में भी नेक्रोफीलिया के लिए अलग-अलग कानून हैं।

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