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स‍िनेमाई जादू द‍िखाने के ल‍िए एक ही बंदा काफी है, मनोज बाजपेयी !

Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Review in Hindi: मनोज बाजपेयी को NSD (National School of Drama) में एडम‍िशन नहीं म‍िला था और इस बात का उन्‍हें सालों तक मलाल रहा है. लेकिन ये तय है कि पिछले कुछ सालों में मनोज ने अपने अभ‍िनय से जो कमाल क‍िया है, वो NSD की क‍िताबों में जरूर पाठ्यक्रम के तौर पर शामिल होंगे. और अगर ऐसा हुआ तो उन स्‍टूडेंट्स को ‘स‍िर्फ एक बंदा काफी है’ जरूर द‍िखाई जाएगी.

Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Review: ह‍िंदुस्‍तान में फिल्‍में हर शुक्रवार को र‍िलीज होती हैं. कुछ भारीभरकम बजट वाली फिल्‍में बेहद हंगामे के साथ आने से पहले कोहराम मचा देती हैं, तो कुछ फिल्‍मों की रिलीज सन्नाटे में ही न‍िकल जाती है. लेकिन इन्‍हीं शुक्रवारों में क‍िसी एक शुक्रवार कुछ ऐसी फिल्‍में र‍िलीज होती हैं, जो शुक्रवार से कहीं बड़ी होती हैं और उन्‍हें सालों तक याद क‍िया जाता है. 23 मई, 2023 को एक ऐसी ही फिल्‍म र‍िलीज होने जा रही है जो आपका ‘स‍िनेमाई जादू’ में फिर से भरोसा पैदा कर देगी. फिल्‍म का नाम है ‘स‍िर्फ एक ही बंदा काफी है’ और ये बंदा है मनोज बाजपेयी. आइए बताती हूं कि आखिर मैंने इस फिल्‍म के लि‍ए इतने तारीफों के पुल क्‍यों बांधे.

क्‍या कहती है कहानी : सबसे पहले कहानी की बात कर लें तो इसकी कहानी आपको काफी जानी पहचानी लगेगी और हो सकता है कि पुराने सालों के कई घटनाक्रम आपको याद आ जाएं. कहानी है खुद को बाबा कहलाने वाले एक गुरू कि जो कई आश्रम चलाता है. इस बाबा पर इसी के आश्रम के स्‍कूल में पढ़ने वाली एक नाबाल‍िग लड़की नूह स‍िंह (अद्र‍िजा स‍िन्‍हा ) ने बलात्‍कार का केस दर्ज कराया है. कोर्ट में पहुंचे इस मामले में एक तरफ है बाबा ज‍िससे बचाने के ल‍िए शर्मा जी (व‍िप‍िन शर्मा) के अलावा एक से एक बड़े वकीलों की पूरी कवायद लगी है और दूसरी तरफ है ये लड़की ज‍िसका केस लड़ा है पीसी सोलंकी (मनोज बाजपेयी) ने. यही है वो पी सी सोलंकी जो ‘एक ही बंदा है और काफी है.’

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इस फ‍िल्‍म में नूह स‍िंह का क‍िरदा अद्र‍िजा स‍िन्‍हा ने न‍िभाया है.

ह‍िंदी स‍िनेमा में कई फिल्‍मों में आपने कोर्ट-रूम ड्रामा देखा है, लेकिन ‘स‍िर्फ एक बंदा काफी है’ इस दर्जे की अभी तक की सबसे मौल‍िक फिल्‍म कही जा सकती है. न जोर से च‍िल्‍लाता अर्दली और न क्‍लोज‍िंग स्‍पीच पर ताल‍ियां बजाते कोर्ट रूम में बैठे लोग. इस फिल्‍म की कहानी इतनी कसी और इतनी टाइट है कि आपको कहीं भी रुकने, ठहरने का वक्‍त नहीं मि‍लेगा और ये बात ओटीटी रिलीज में बेहद अहम हो जाती है. न‍िर्देशक अपूर्व स‍िंह कार्की बधाई के पात्र हैं कि उन्‍होंने इस फिल्‍म को इस तरीके से गढ़ा है. अक्‍सर ऐसे क्रोर्टरूम ड्रामा में आपको भावनाओं से भरे लंबे चौड़े मोनोलॉग म‍िल जाते हैं, लेकिन यहां तारीफ करनी होगी लेखक दीपक क‍िंगरानी की ज‍िन्‍होंने कहानी को गढ़ने में कहीं भी कोरी-भावनाओं का इस्‍तेमाल नहीं क‍िया है. उनकी ल‍िखी क्‍लोज‍िंग स्‍पीच को सुनने का मजा कुछ और ही है.

‘स‍िर्फ एक बंदा काफी है’ अपने पहले सीन से आखिरी सीन तक आपको कहानी से बांधे रखने का माद्दा रखती है और ये काम एक अकेला बंदा अगर कोई कर सकता है तो वो हैं मनोज बाजपेयी. अच्छे सिनेमा पर विश्वास जगाने के ल‍िए, 1 फिल्म के जरिए एक्टिंग का पूरा सिलेबस पढ़ाने के ल‍िए, एक ही बंदा काफी है.. मनोज बाजपाई. कोर्टरूम में अपने सामने के बड़े-बड़े वकीलों के आगे मनोज बाजपेयी की बॉडी लेंग्‍वेज हैरान कर देगी. वो हर सीन में जैसे जादू सा करते नजर आए हैं. जज के सामने अपना पक्ष रखने का आत्‍मव‍िश्‍वास, अपने सामने खड़े सीनियर वकील की इज्‍जत या फिर अपने परिवार की जान पर मडराता खतरे का डर, सोच‍िए ये सब कुछ आप एक ही शख्‍स के भीतर देख रहे हैं वो भी एक ही सीन में. मनोज ने अपनी परफॉर्मेंस से इस फिल्‍म को वो फिल्‍म बना द‍िया है, ज‍िसे सालों तक याद रखा जाएगा. खासकर इस फिल्‍म का क्‍लाइमैक्‍स, ज‍िसमें मनोज की बातों के साथ उनकी आंखें, उनकी हाथों की अंंगुल‍ियांं भी अभ‍िनय करती नजर आएंगी.

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मनोज बाजपेयी की इस फिल्‍म को एक्‍ट‍िंग सीखने वाले स्‍टूडेंट्स को एक स‍िलेबस के तौर पर द‍िखाया जा सकता है.

ये फिल्‍म मनोज बाजपेयी की है, लेकिन इस दौरान बाकी कलाकार भी उभरकर आए हैं. बाब के क‍िरदार में नजर आए सूर्य मोहन कुलश्रेष्‍ठ ने चंद ही डायलॉग बोले हैं, लेकिन उन्‍होंने अपने लुक्‍स और हाव-भाव से आपके अंदर नफरत पैदा करने का काम बखूबी क‍िया है. वहीं नूह स‍िंह के क‍िरदार में नजर आईं अद्र‍िजा स‍िन्‍हा बेहतरीन रही हैं. जब भी वो पर्दे पर नजर आएंगी, उनकी आंखों से आप वो पीड़ा महसूस कर पाएंगे. वहीं व‍िपक्ष के वकील के तौर पर नजर आए व‍िप‍िन शर्मा एक बार फिर भा जाएंगे.

ZEE5 पर र‍िलीज हो रही ये फिल्‍म एक बेहतरीन फिल्‍म है और कह सकते हैं कि 2023 में रिलीज हुई वो फिल्‍म ज‍िसे ब‍िना If और But के आप द‍िल से स्‍वीकार करेंगे. ब‍िहार से हीरो बनने आए मनोज बाजपेयी को NSD (National School of Drama) में एडम‍िशन नहीं म‍िला था और इस बात का उन्‍हें सालों तक मलाल रहा है. लेकिन ये तय है कि पिछले कुछ सालों में मनोज ने अपने अभ‍िनय से जो कमाल क‍िया है, वो NSD की क‍िताबों में जरूर पाठ्यक्रम के तौर पर शामिल होंगे. और अगर ऐसा हुआ तो उन स्‍टूडेंट्स को ‘स‍िर्फ एक बंदा काफी है’ जरूर द‍िखाई जाएगी. मेरी तरफ से इस फिल्‍म को 4 स्‍टार. 

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