नरोदा गाम दंगा=सभी 67 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को पीड़ितों ने ‘न्याय की हत्या’ करार दिया

पीड़ितों ने नरोदा गाम के फैसले को ‘न्याय की हत्या’ बताया, कहा- इससे दंगाइयों का हौसला बढ़ेगा
अहमदाबाद
भीड़ द्वारा किए गए हमले में घायल शरीफ मालेक (Sharif Malek) ने दावा किया कि “न्यायपालिका दबाव में प्रतीत होती है” और ऐसा निर्णय केवल दंगाइयों को प्रोत्साहित करेगा। दंगाइयों की भीड़ ने मालेक के घर को भी लूट लिया था।
नरोदा गाम मामले में सभी 67 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को पीड़ितों ने ‘न्याय की हत्या’ करार दिया और कहा कि इससे दंगाइयों के हौसले और बुलंद होंगे। नरोदा गाम दंगों के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। कुछ पीड़ितों ने दावा किया कि उनकी आंखों के सामने जिंदगी छीन ली गई। अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी समेत मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।
गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की बोगी में आग लगाए जाने के बाद राज्यभर में दंगे भड़क गए थे। इसी दौरान नरोदा गाम में 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले की जांच हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की थी। भीड़ द्वारा किए गए हमले में घायल शरीफ मालेक (Sharif Malek) ने दावा किया कि “न्यायपालिका दबाव में प्रतीत होती है” और ऐसा निर्णय केवल दंगाइयों को प्रोत्साहित करेगा। दंगाइयों की भीड़ ने मालेक के घर को भी लूट लिया था।
इम्तियाज कुरैशी ने कहा कि उनके घर को लूट लिया गया था और लोगों के एक समूह ने उनकी आंखों के सामने तीन लोगों की हत्या कर दी थी। उन्होंने दावा किया कि गुरुवार के फैसले से पता चलता है कि “न्यायपालिका दबाव में है”। अदीब पठान के घर को हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने लूट लिया था। पठान ने कहा, अगर कानून की रक्षा करने वालों को कानून की हत्या करने पर मजबूर किया जाएगा तो यह देश को विनाश की ओर ले जाएगा। इस तरह लोग लोकतंत्र में विश्वास खो देंगे।