देश के गद्दारों को… नारे के बाद भड़के दिल्ली दंगे, गहरी नींद में था केंद्र,: SC के पूर्व जज

-देश के गद्दारों को… नारे के बाद भड़के दिल्ली दंगे, SC के पूर्व जज बोले- गहरी नींद में था केंद्र, इंडिपेंडेंट जांच से पता चलेगा सच
-सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश का कहना था कि दंगों के बाद भी केंद्रीय गृह मंत्रालय गहरी नींद में सोता रहा। दंगा प्रभावित इलाकों में तत्काल फोर्स नहीं भेजी गई। आखिरी के दिनों में फोर्स भेजी जा सकी।
दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस मदन बी लोकुर को लगता है कि दिल्ली दंगों के पीछे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की भूमिका थी। देश के गद्दारों को, गोली मारों सालों को, के नारे के बाद दिल्ली सुलगनी शुरू हो गई थी। एक समुदाय विशेष के लोगों के बीच असुरक्षा की भावना पनपी और ये दिल्ली दंगों की एक बड़ी वजह बन गई। उनका कहना है कि इंडिपेंडेंट इन्क्वायरी कमीशन ही दंगों की सही वजह को सामने ला सकता है। उनका कहना है कि फरवरी 2020 में क्या हुआ, यह बात जानने के लिए सारा देश इच्छुक है।
जस्टिस लोकुर का कहना है कि शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को लेकर बीजेपी के नेताओं ने जो बयानबाजी की, उसके बाद से चिंगारी भड़कने लगी थी। वो कारवां ए मोहब्बत और कांस्टीट्यूशनल कंडक्ट ऑफ ग्रुप के एक प्रोग्राम में शिरकत कर रहे थे। उनका कहना था कि दंगे भड़कने के बाद भी दिल्ली पुलिस सोती रही। उनका कहना था कि ये चीज उन्हें हैरत में डालती है कि पुलिस को ये पता ही नहीं चल सका कि दिल्ली सुलग रही थी। उनको पता होना चाहिए था कि सांप्रदायिक दंगों के लिए स्टेज तैयार कर दिया गया है। लेकिन पुलिस कुछ भी सोचने समझने के मूड़ में नहीं थी।
दंगों के बाद गृह मंत्रालय गहरी नींद में सोता रहा
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश का कहना था कि दंगों के बाद भी केंद्रीय गृह मंत्रालय गहरी नींद में सोता रहा। दंगा प्रभावित इलाकों में तत्काल फोर्स नहीं भेजी गई। आखिरी के दिनों में फोर्स भेजी जा सकी। 23 फरवरी से 26 फरवरी तक दंगे लगातार चलते रहे। उनका कहना था कि दंगे जिस रफ्तार से भड़क रहे थे उनको काबू करने के लिए जो फोर्स भेजी गई वो अपर्याप्त थी। यही वजह थी कि 100 से ज्यादा पुलिस के जवान जख्मी हुए।
24 घंटे के भीतर पुलिस काबू कर सकती थी दंगों को
जस्टिस लोकुर का कहना था कि पुलिस 24 घंटे के भीतर दंगों को काबू कर सकती थी। पहले तो वो ये मानने की भी तैयार नहीं हुए कि दंगे भड़क सकते हैं। फिर दंगों से निपटने के लिए बचकाना रणनीति अपनाई गई। उनका कहना था कि दंगों के बाद की स्थिति तो और भी ज्यादा भयावह है। लोग मुआवजे के लिए दर दर भटक रहे हैं। जो गंभीर रूप से जख्मी हुए उनके इलाज के लिए भी दिल्ली सरकार कोई खास इंतजाम नहीं कर सकी।