दिल्ली

पीएम मोदी ने हिंदू रीति रिवाज से किया अशोक स्तम्भ का अनावरण, अशोक के धम्म में किसी देवता की पूजा या कर्मकांड नहीं होता

कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने युद्ध की नीति त्याग कर ‘धम्म’ की नीति अपनाई थी। यह युद्ध 261 ईसा पूर्व में महान मौर्य साम्राज्य और कलिंग राज्य के बीच लड़ा गया था।

नई दिल्ली

सारनाथ का अशोक स्तंभ मौर्यकालीन स्तंभ कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है।

सोमवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रहे नए संसद भवन का दौरा किया। इस दौरान पीएम मोदी ने निर्माणाधीन संसद भवन की छत पर स्थापित राजकीय प्रतीक अशोक स्तम्भ (Ashoka Pillar) का अनावरण किया। यह प्रतिमा 6.5 मीटर ऊंची है, जिसका वजन 9500 किलो बताया जा रहा है।

हिन्दू रीति रिवाज से हुआ अशोक स्तम्भ का अनावरण : अशोक के सिंह स्तम्भ से पर्दा हटाने के बाद पीएम मोदी ने उसके नीचे बैठकर हिन्दू रीति रिवाज से विधिवत पूजा-अर्चना की। बकायदा दो पुजारियों को बुलाया गया था, जिन्होंने मंत्रोचार के साथ सभी कर्मकांडों को पूरा कराया। पीएम मोदी के साथ, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भी पूजा पर बैठे थे। मोदी ने अशोक स्तम्भ पर टीका-चंदन लगाया, अक्षत और जल छिड़का, इस दौरान पुजारी मंत्र पढ़ते रहें।

धम्म में नहीं होता कर्मकांड : कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने युद्ध की नीति त्याग कर ‘धम्म’ की नीति अपनाई थी। यह युद्ध 261 ईसा पूर्व में महान मौर्य साम्राज्य और कलिंग राज्य के बीच लड़ा गया था। धम्म शब्द धर्म का प्राकृत रूप है। आसान भाषा में कहें तो धम्म वो नैतिक नियम थें, जो अशोक ने अपने प्रजा को नैतिक रूप से शिष्ट बनाने और सामाजिक व्यवस्था बेहतर ढंग से चलाने के लिए तय किया था। धम्म की नीति अपनाने के बाद अशोक ने कर्मकांडीय अनुष्ठानों को निषिद्ध कर दिया था। धम्म में किसी देवता के पूजा की आवश्यकता नहीं होती। अशोक ने धम्म को विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच फैलान का प्रयास किया। अशोक ने धम्म के प्रचार के लिए अपने पूरे साम्राज्य में स्तंभों का निर्माण कराया था। उन्हीं स्तम्भों में से एक था, सारनाथ का सिंह स्तम्भ, जिसे भारत सरकार ने 26 जनवरी, 1950 को अपने राजकीय प्रतीक के रूप में अपनाया।

क्या है अशोक के सिंह स्तम्भ की विशेषता? : सारनाथ का अशोक स्तम्भ मौर्यकालीन स्तम्भ कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है। मूल स्तम्भ को उत्तर प्रदेश के सारनाथ स्थित संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। अशोक के सिंह स्तम्भ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। यही वजह है कि सामने से केवल तीन ही सिंह दिखाई पड़ते हैं। मूल स्तम्भ चुनार के बलुआ पत्थर को काटकर बना है। यह स्तम्भ एकाश्म अर्थात् एक ही पत्थर से तराशकर बनाया गया है। सिंहों की मूर्ति जिस प्लेटफॉर्म पर स्थापित है, उसपर एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। प्लेटफॉर्म के नीचे मुण्डकोपनिषद का सूत्र ‘सत्यमेव जयते’ देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- ‘सत्य की ही विजय होती है’

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button