वजूखाने का एक साल पुराना वीडियो आया सामने, ‘फव्वारे’ के दावों पर उठे सवाल

वायरल वीडियो एक साल पुराना बताया जा रहा है, जिसमें दिख रहा है कि वजूखाना जाली से घिरा है और उसमें पानी भरा है. जिस ठोस संरचना को हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहा है वह पानी में डूबा है. इसी वीडियो के आधार पर हिंदू पक्ष अब मुस्लिम पक्ष के फव्वारे वाले दावे पर सवाल खड़ा कर रहा है. हिंदू पक्ष का दावा है कि फव्वारा पानी से ऊपर होता है, न कि पानी के भीतर. नए सर्वे के लिए जो अर्जी डाली गई है इसमें इसी जगह का जिक्र किया गया है.
वाराणसी.
ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने का एक साल पुराना वीडियो सामने आया है, जिसमें नंदी उस ठोस संरचना की तरफ देख रहे हैं, जिसे शिवलिंग का दावा किया जा रहा है. वीडियो में मुस्लिम पक्ष के फव्वारे वाले दावे पर भी सवाल उठ रहा है. क्योंकि वीडियो में दिख रहा है कि वजूखाना पानी से भरा है और जिस कुंए में शिवलिंग का दावा किया जा रहा है वह पानी से पूरी तरह डूबा हुआ है. अब विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वह फव्वारा है तो वह पानी में कैसे डूबा है. बता दें कि वजूखाने में मिली ठोस संरचना और नंदी के बीच की दीवार को तोड़कर सर्वे कराने की अर्जी वाराणसी सिविल कोर्ट में दाखिल गई है, जिस सुनवाई हो सकती है.
वायरल वीडियो एक साल पुराना बताया जा रहा है, जिसमें दिख रहा है कि वजूखाना जाली से घिरा है और उसमें पानी भरा है. जिस ठोस संरचना को हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहा है वह पानी में डूबा है. इसी वीडियो के आधार पर हिंदू पक्ष अब मुस्लिम पक्ष के फव्वारे वाले दावे पर सवाल खड़ा कर रहा है. हिंदू पक्ष का दावा है कि फव्वारा पानी से ऊपर होता है, न कि पानी के भीतर. नए सर्वे के लिए जो अर्जी डाली गई है इसमें इसी जगह का जिक्र किया गया है.
प्रोफेसर का ये है दावा
वायरल वीडियो को लेकर प्रोफेसर धर्म विज्ञान राम नारायण द्विवेदी ने न्यूज़18 से बातचीत में कहा कि हमारे शास्त्रों में बहुत साफ़ लिखा है कि शिव के दक्षिण भाग में ज्ञानवापी नाम का कूप है. यह कूप वर्तमान तथाकथित मस्जिद है, उसके उत्तर दिशा की और जो भाग है वही विश्वनाथ मंदिर है. जहां शिवलिंग मिला है अवमुक्तेश्वर महादेव हैं. हमारे शास्त्रों में ज्ञानवापी के चार मंडप बतलाए गए हैं, पहला ऐश्वर्या मंडप, ज्ञान मंडप, मुक्ति मंडप और विश्वेश्वर मंडप. विश्वेश्वर मंडप में ही भगवन विश्वनाथ विराजमान हैं. सर्वे में जो मिला है वह फव्वारा नहीं है बल्कि एक विशाल शिवलिंग है. इसका उल्लेख कई पुराणों में भी मिलता है.