केजरीवाल को 2013 में नहीं जानता था कोई पर मोदी उन्हें ‘पढ़’ रहे थे, AAP कैंपेन पर भी थी नजर- अरुण शौरी

अरुण शौरी, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री और योजना आयोग के सलाहकार भी रह चुके हैं।
नई दिल्ली
पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बड़ी कामयाबी मिली है। आप ने पंजाब में केवल बहुमत से नहीं बल्कि 70 फीसदी से अधिक सीट जीतकर दिल्ली विधानसभा चुनाव वाली कामयाबी को दोहराया है। वहीं, केजरीवाल की इस कामयाबी के पीछे आप का चुनावी कैंपेन करने का तरीका भी बड़ी वजह बताई जाती है। इस पर बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और द इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व संपादक अरुण शौरी ने कहा कि “2013 में देश में केजरीवाल को कोई जानता नहीं था लेकिन मोदी जी उन्हें पढ़ रहे थे। उन्होंने आईटी दिग्गज राजेश जैन को दिल्ली आकर आम आदमी पार्टी का कैंपेन के तरीके को अध्ययन करने को कहा और उसी वक्त मोदी ने माना कि आप का ‘डोर टू डोर’ का तरीका अध्ययन करने लायक है।”
वंदिता मिश्रा ने पूछा कि आपके द्वारा कई मामलों को लड़ा गया जिसमें कमला, भागलपुर आंख फोड़वा कांड और बोफोर्स जैसे मामले शामिल थे। लोग कह सकते हैं कि इंदिरा, राजीव या वी.पी. सिंह सरकार ने आपत्ति के बाद भी जवाब दिया और असहमति के पीछे साजिशों को देखा। इस सरकार के बारे में आप क्या अलग देखते हैं?
जवाब का एक पैमाना होता है। हत्याएं हमेशा होती रहती है लेकिन वध का एक अलग आयाम है। हां, बोफोर्स पर झूठ बोला गया था। जीडीपी के आंकड़ों में ही नहीं, आज आपको हर चीज पर एक सच्चे बयान की तलाश करनी होगी। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बांड्स और कुछ नहीं बल्कि एक संस्थागत भ्रष्टाचार है।
दूसरा सबसे अधिक दिखाई देने वाला अंतर यह है कि भाजपा एक विचारधारा के अनुसार काम कर रही है। और यह हमारी बड़ी असफलता है, जिसमें मेरा भी शामिल है, हमने इसका अध्ययन नहीं किया है। 1930 के दशक में डॉ.हेडगेवार के समय से ही आरएसएस की विचारधारा एक-दिमाग वाली है, जो हिंदुओं को हिंदू धर्म का पालन करने वाले, हजारों वर्षों की संस्कृति को मानने वाले, शुद्धतावादी और अन्य प्रभावों को अस्वीकार करते हैं, के रूप में परिभाषित की गयी है।
तीसरा अंतर उन्होंने बताया कि भाजपा का कैडर शीर्ष नेताओं के द्वारा दिए गए किसी भी बयान को बड़ा बना देता है और उसे ही न्यू नार्मल दिया जाता है।