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किसानों को प्रोत्साहन देना जरूरी,राजनीति से ऊपर उठकर सोचें

पराली समस्या पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मैं एक किसान हूं। मुख्य न्यायाधीश भी एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। हम जानते हैं कि उत्तर भारत के गरीब किसान पराली प्रबंधन से जुड़ी मशीन नहीं खरीद सकते। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि पराली प्रबंधन से जुड़ी मशीनों पर 80 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है। इस पर अदालत ने सवाल किया कि क्या आप सब्सिडी के बाद की कीमत बता सकते हैं? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कृषि कानूनों के बाद उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में भूमि जोत तीन एकड़ से कम है। हम उन किसानों से पराली प्रबंधन से जुड़ी मशीन खरीदने की उम्मीद नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि आप कह रहे हैं कि पराली प्रबंधन के लिए दो लाख मशीनें उपलब्ध हैं, पर गरीब किसान इन्हें खरीदने में असमर्थ हैं। केंद्र और राज्य सरकारें मशीन क्यों नहीं उपलब्ध करा सकतीं?

पेपर मिल में करें पराली का प्रयोग
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पराली का उपयोग पेपर मिल में उत्पादन सहित अन्य उद्देश्यों के लिए करें। सर्दियों में राजस्थान में बकरियों आदि के चारे के लिए पराली का इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्रोत्साहन की कमी असल समस्या है। अगर आप किसानों को वैकल्पिक उपाय अपनाने के लिए प्रोत्साहन नहीं देंगे तो स्थितियां नहीं बदलेंगी। परिवर्तन ऐसे ही नहीं आ जाता है।

वायु प्रदूषण के मामले में आपको सरकार और राजनीति से ऊपर उठकर सोचना होगा। कुछ ऐसा होना चाहिए कि अगले दो से तीन दिनों में हम बेहतर महसूस करें।
अच्छी अंग्रेजी नहीं जानता : मुख्य न्यायाधीश
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण ने कहा कि वह एक प्रबुद्ध वक्ता नहीं हैं। उन्होंने आठवीं में अंग्रेजी पढ़ना शुरू किया था। इसलिए शब्दों को बयां करने के लिए अच्छी अंग्रेजी नहीं जानते। जस्टिस रमण की यह टिप्पणी सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता के उस स्पष्टीकरण की प्रतिक्रिया के रूप में आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह दूर-दूर तक ऐसा नहीं कह रहे कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए अकेले किसान जिम्मेदार हैं। मेहता ने कहा था, वकील के रूप में जिस भाषा में हमारा जवाब लिया जाता है, कई बार उससे गलत संदेश जा सकता है।

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