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भाजपा को हराने के लिए माकपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन कायम रहेगा : येचुरी

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन जारी रखने का फैसला किया है

नई दिल्ली। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन जारी रखने का फैसला किया है। गौरतलब है कि तमाम राज्यों में कांग्रेस का गठबंधन दूसरे अन्य दलों से एक-एक कर के टूट रहा है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से कांग्रेस गठबंधन टूट गया है। वहीं पश्चिम बंगाल की टीएमसी ने भी कांग्रेस से दूरी बना ली है। ठीक इसी तरह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। इसी के मद्देनजर माकपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि केंद्रीय समिति की बैठक में कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने की कोई चर्चा नहीं हुई। फिलहाल भाजपा को हराने के लिए माकपा-कांग्रेस गठबंधन बेहद जरूरी है।

गौरतलब है कि माकपा की तीन दिवसीय केंद्रीय समिति की बैठक शुक्रवार से रविवार तक चली। बैठक के एजेंडे में आगामी चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस के साथ गठबंधन पर पार्टी की क्या नीति रहेगी, ये तक करना भी शामिल था। इसे बेहद अहम माना जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, पोलित ब्यूरो में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने को लेकर मतभेद हैं। केरल का गुट बीजेपी के खिलाफ क्षेत्रीय दलों के साथ वामपंथी नेतृत्व वाले धर्मनिरपेक्ष गठबंधन पर जोर दे रहा है।

वहीं पश्चिम बंगाल के नेताओं के गुट का कहना है कि देश के सबसे बड़े विपक्षी दल (कांग्रेस) से गठबंधन के बिना कोई भी गठबंधन करना पार्टी के लिए अव्यावहारिक ही साबित होगा। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग नीति बनाने की जरूरत है। फिलहाल इस बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी।

हाल ही में माकपा पत्रिका चिन्था के एक लेख में, केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने लिखा था कि कांग्रेस विपक्ष की धुरी नहीं हो सकती। सभी राज्यों में, केरल को छोड़कर, कांग्रेस के नेता भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ रहे हैं और इसलिए, दोनों के बीच बहुत कम विशिष्ट अंतर हैं।

इससे पहले अप्रैल 2018 में हैदराबाद में आयोजित पार्टी की 22वीं केंद्रीय समिति की बैठक में भाजपा और कांग्रेस दोनों को समान तौर पर देश के लिए घातक बताया गया था। पार्टी में सभी ‘धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों’ के लिए रैली करने की सहमती हुई थी। संसद के अंदर और बाहर कांग्रेस सहित सभी ‘धर्मनिरपेक्ष विपक्षी दलों’ के साथ एक समझ रखने पर भी सहमति बनी थी। फिर भी इस सब में एक चेतावनी थी कि कांग्रेस पार्टी के साथ कोई राजनीतिक गठबंधन नहीं हो सकता।

सूत्रों के अनुसार, बैठक में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने तर्क भी दिया था कि जिस स्थिति के तहत 2018 में निर्णय लिया गया था, वह नहीं बदली है और बहस को फिर से खोलने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि 2019 के आम चुनावों में भाजपा की लगातार दूसरी जीत के बाद दक्षिणपंथ से खतरा और बढ़ गया है और इसलिए 2018 की लाइन पर चलने की जरूरत है।

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