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‘आजादी सरकार की देन नहीं, संवैधानिक अधिकार’, पासपोर्ट मामले पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट नवीनीकरण के समय भविष्य की यात्रा या वीजा का ब्योरा मांगना जरूरी नहीं है। कोर्ट ने साफ किया कि नागरिकों की आजादी संविधान के अनुच्छेद 21 से जुड़ा अधिकार है। अदालत ने चेतावनी दी कि सुरक्षा के नाम पर लगाई गई अस्थायी रोक अगर स्थायी बन गई, तो इससे व्यक्ति की गरिमा और संविधान की भावना को ठेस पहुंचेगी।

 

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने पासपोर्ट और नागरिक स्वतंत्रता को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि आजादी सरकार की मेहरबानी नहीं, बल्कि उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी है। कोर्ट ने साफ किया कि पासपोर्ट रिन्यूअल के समय व्यक्ति से भविष्य की यात्रा या वीजा का ब्योरा मांगना जरूरी नहीं। यह फैसला एक आरोपी की याचिका पर सुनाया गया, जिस पर मामला लंबित है।

 

मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ और एजी मसीह की बेंच ने कहा कि पासपोर्ट विभाग का काम सिर्फ यह देखना है कि जिस व्यक्ति पर केस चल रहा है, क्या कोर्ट ने उसे निगरानी में यात्रा की अनुमति दी है या नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को घूमने, यात्रा करने और रोजगार के मौके तलाशने की आजादी मिलती है।

 

कोर्ट ने इस बात को लेकर दी चेतावनी
कोर्ट ने आगे कहा कि हां, कानून के तहत सुरक्षा, न्याय या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए सरकार कुछ सीमाएं लगा सकती है, लेकिन ये सीमाएं जरूरत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इस दौरान अदालत ने चेतावनी दी कि अगर अस्थायी रोक को स्थायी रोक बना दिया गया, तो इससे व्यक्ति की गरिमा और संविधान की भावना को नुकसान पहुंचेगा।

बता दें कि कोर्ट का यह फैसला महेश कुमार अग्रवाल की याचिका पर आया। अग्रवाल कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में दोषी हैं और उन पर यूएपीए के तहत मामला चल रहा है। जमानत की शर्त के तौर पर उनका पासपोर्ट कोर्ट में जमा था, जिसकी वैधता 2023 में खत्म हो गई थी। वे पासपोर्ट का नवीनीकरण चाहते थे।

 

इस आधार पर पासपोर्ट देने की सलाह
सुप्रीम कोर्ट ने आगे बताया कि पासपोर्ट एक्ट की धारा 6(2)(f) के बावजूद 1993 की एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार, जिन लोगों पर केस चल रहा है, उन्हें भी पासपोर्ट मिल सकता है, बशर्ते कोर्ट इसकी अनुमति दे और व्यक्ति यह वादा करे कि वह जब भी बुलाया जाए, कोर्ट में हाजिर होगा।

 

इस दौरान अदालत ने साफ किया कि कानून यह नहीं कहता कि हर बार पासपोर्ट जारी करने से पहले कोर्ट को विदेश जाने की पूरी योजना मंज़ूर करनी ही होगी। कोर्ट चाहे तो पासपोर्ट रिन्यू करने दे और हर विदेश यात्रा के लिए अलग से अनुमति लेने की शर्त लगा सकता है।

एनआईए कोर्ट, रांची और दिल्ली हाई कोर्ट ने दी थी ये अनुमति
गौरतलब है कि इस मामले में एनआईए कोर्ट, रांची और दिल्ली हाई कोर्ट दोनों ने पासपोर्ट रिन्यू करने की अनुमति दी थी और शर्त लगाई थी कि बिना कोर्ट की इजाज़त विदेश नहीं जाया जा सकेगा। ऐ,े में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए पासपोर्ट विभाग को अग्रवाल का पासपोर्ट नवीनीकरण करने का निर्देश दिया।

 

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