‘मोदी सरकार की नीतियों ने सामाजिक न्याय में पिछली उपलब्धियों को खत्म किया’, खरगे का केंद्र पर हमला

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार संविधान को कमजोर कर रही है। खरगे ने कहा कि कांग्रेस की पूर्व की सरकारों में कई ऐसे कानून बनाए गए, जिनसे सामाजिक न्याय सुनिश्चित हुआ। हालांकि मौजूदा सरकार पिछली सरकारों की नीतियों को भी खत्म कर रही है।
नई दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा और केंद्र सरकार पर संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाया। खरगे ने कहा कि सरकार की नीतियों ने पिछली कांग्रेस सरकारों द्वारा दलितों के लिए शिक्षा और नौकरियों के क्षेत्र में हासिल की गई उपलब्धि को भी खत्म कर दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इसी सोच के साथ दो प्रमुख कानून बनाए गए: नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955, जिसने छुआछूत और उसके सभी रूपों को दंडनीय अपराध बनाया, और SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989। कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि राजीव गांधी की सरकार ने SC/ST अधिनियम बनाया, जिसमें पहली बार कहा गया कि दलितों के खिलाफ अत्याचार सिर्फ अपराध नहीं हैं, बल्कि सामाजिक न्याय पर हमला है। बाद में, कांग्रेस सरकारों ने आरोपियों के लिए अग्रिम जमानत पर प्रतिबंध लगाकर, पीड़ितों के लिए जांच में तेजी लाकर, उच्च मुआवजे और विशेष अदालतों की व्यवस्था करके इसे और मजबूत किया।
खरगे ने कहा कि कांग्रेस ने माना कि शिक्षा ही सामाजिक समानता का मार्ग है। इसलिए, हमने पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम, प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप, एससी लड़कों और लड़कियों के लिए हॉस्टल, टॉप क्लास एजुकेशन स्कीम, आईआईटी, आईआईएम और मेडिकल कॉलेजों में एससी आरक्षण, सर्व शिक्षा अभियान, मिड-डे मील और RTE (शिक्षा का अधिकार) जैसे कार्यक्रम शुरू किए, जिससे दलित बच्चों की स्कूल में उपस्थिति तेजी से बढ़ी। खरगे ने कहा, ‘आज, देश में लाखों अनुसूचित जाति के डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर, ऑफिसर और एंटरप्रेन्योर हैं। उनकी यात्रा इन्हीं नीतियों से शुरू हुई।’
दलितों की आवाज दबाने का सरकार पर लगाया आरोप
खरगे ने आरोप लगाया कि दलितों की आवाज उठाने वालों पर हमले हो रहे हैं। कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि चाहे वह रोहित वेमुला का मामला हो, भीमा-कोरेगांव के बाद की कार्रवाई हो, या विश्वविद्यालयों में दलित छात्रों के साथ होने वाला भेदभाव हो, सरकार ने हर जगह दलितों की आवाज को दबाने की कोशिश की है। ‘संविधान द्वारा दिए गए अधिकार छीने जा रहे हैं। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था: ‘किसी समाज की प्रगति का पैमाना यह है कि उसका सबसे कमजोर सदस्य कितना सुरक्षित है।’




