सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोलकर बुरे फंसे निशिकांत दुबे, बीजेपी एमपी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर

भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी को लेकर विवाद बढ़ रहा है. पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने इस पर अवमानना याचिका दायर की है.
- निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी पर विवाद बढ़ा.
- अमिताभ ठाकुर ने दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की.
- भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप.
भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट को लेकर की गई टिप्पणी का मामला गरमाता जा रहा है. पूर्व आईपीएस अधिकारी और आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिताभ ठाकुर ने इस मामले को लेकर अवमानना याचिका दायर की है.
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए क्रिमिनल कंटेम्प्ट याचिका को लेकर अमिताभ ठाकुर ने कहा, ‘निशिकांत दुबे ने कल एक मीडिया इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट और मौजूदा चीफ जस्टिस के खिलाफ जो टिप्पणियां की थी, उनमें से कई स्पष्ट रूप से आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आते हैं. इन तथ्यों के मद्देनजर मैं डॉ. निशिकांत दुबे के विरुद्ध क्रिमिनल कंटेम्प्ट याचिका दायर कर उन्हें नियमानुसार आपराधिक अवमानना के लिए दंडित किए जाने की प्रार्थना की है.’
दुबे के खिलाफ पीएम मोदी को चिट्ठी
उधर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी से न्यायपालिका पर भाजपा नेताओं की टिप्पणियों पर लगाम लगाने की अपील की है. SCBA और AIBA के चेयरमैन रहे डॉ. आदीश सी. अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने वाले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर गहरी चिंता जताई है.
डॉ. अग्रवाल ने पत्र में कहा कि दुबे का बयान अत्यंत चौंकाने वाला है और इससे आम जनता में न्यायपालिका को लेकर गलतफहमी पैदा हो सकती है. डॉ. अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट के 2023 के ऐतिहासिक फैसलों ‘पंजाब राज्य बनाम पंजाब के राज्यपाल के प्रधान सचिव’ और ‘तमिलनाडु राज्य बनाम राज्यपाल’ का हवाला देते हुए कहा कि इन निर्णयों में न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 200 और 201 में तय समयसीमा के अभाव के कारण एक तार्किक सीमा (तीन महीने) तय की है, ताकि राज्यपाल और राष्ट्रपति विधेयकों पर अनिश्चितकालीन विलंब न करें.
डॉ. अग्रवाल ने इसके साथ ही पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा, ‘आपकी सरकार ने हमेशा न्यायपालिका और उसके निर्णयों का सम्मान किया है. इस परंपरा को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि सत्तारूढ़ दल के नेता ऐसे सार्वजनिक बयान न दें जो न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को नुकसान पहुंचाएं.’
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने अदालत की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाएगा, तो संसद को बंद कर देना चाहिए. दुबे ने तो यहां तक कह दिया कि इस देश में जितने भी ‘गृहयुद्ध’ हो रहे हैं, उसके लिए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं. बीजेपी ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि BJP ऐसे बयानों का समर्थन नहीं करती.




